सागर. जिले में मक्का की अच्छी पैदावार होने की वजह से पिछले दो-तीन साल से किसानों का इस तरफ रुझान बढ़ा है. यही वजह है कि जिले में अचानक से 5000 हैकटेयर में मक्का की बुवाई की जाने लगी है. इस बार सावन के महीने में अच्छी बारिश हो रही है. बारिश ज्यादा होने की वजह से शंकर प्रजाति की मक्का में कुछ बीमारी के लक्षण देखे गए हैं. जिसे बैक्टीरियल स्टॉक राट कहते हैं. यह संक्रामक बीमारी की तरह एक पेड़ से दूसरे पेड़ में फैलता है, इसलिए इसके लक्षण दिखते ही रोग जनित पौधों को खेत से उठाकर कहीं गड्ढे में दवा देना चाहिए. साथ ही कीटाणु जनित दवाओं का स्प्रे करना चाहिए, ताकि इस रोग पर नियंत्रण किया जा सके.
सागर कृषि वैज्ञानिक केंद्र के वैज्ञानिक डॉ आशीष त्रिपाठी को पिछले कुछ दिनों से जिले की अलग-अलग जगह से इस तरह की सूचनाएं मिल रही थीं कि किसानों के खेत में लगी मक्का की फसल संभल जाने के बाद भी उसका तना टूट कर गिर रहे हैं. जिससे फसले बर्बाद हो रही है. इसके बाद उन्होंने अलग-अलग क्षेत्र के दर्जनों गांव का दौरा किया और खेतों में पहुंचकर फसलों का निरीक्षण किया. इसमें उन्हें बैक्टीरियल स्टॉक राट नामक बीमारी मिली.
बीमारी के लक्षण
मक्का की फसल सड़कर जमीन पर गिरने लगती है. उसके टूटे हुए तने से अल्कोहल जैसी बदबू आने लगती है. अगर आपके खेत में भी ऐसा हो रहा है तो उसकी जड़ सहित निकालकर उसे खेत से अलग कर दें और कहीं गड्ढे में दवा दें, ताकि यह दूसरे पौधों में न फेल पाए.
बीमारी से बचाव के उपाय
कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर आशीष त्रिपाठी ने जानकारी दी और कहा कि यह बीमारी हाइब्रिड की मक्का में देखी जाती है, क्योंकि किसान भाई अधिक उत्पादन के चक्कर में यूरिया का उपयोग करते हैं. बारिश अधिक होने और खेत में नमी होने की वजह से फसल का तना सड़ने लगता है. अगर इस तरह के लक्षण आपकी फसल में दिखाई दे रहे हैं तो सबसे पहले यूरिया का उपयोग पूरी तरह से बंद कर दें. साथ ही जीवाणु जनित बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए कॉपर ऑक्सिक्लोराइड, कॉपर हाइड्रोक्साइड हाईडाइट, पोसाइड इस तरह की बाजार में दवाइयां मिलती हैं. उनका फसलों पर स्प्रे कर रोगों को नियंत्रित किया जा सकता है.
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FIRST PUBLISHED : August 17, 2024, 11:05 IST