हजारीबाग: सदियों से रावण को बुराई के प्रतीक के रूप में देखा जाता रहा है, लेकिन झारखंड के विनोबा भावे विश्वविद्यालय के रिटायर्ड प्रोफेसर डॉ. यमुना प्रसाद ने रावण के दर्द को समझा. उन्होंने ‘रावण के दर्द’ नाम से कविता संग्रह लिखा है. इस कविता संग्रह में 60 कविताएं हैं, जो हिंदी और अंग्रेजी भाषा दोनों में हैं. इस कविता संग्रह को लिखने से पहले शिक्षक ने रामचरितमानस, भागवत गीता आदि धार्मिक ग्रंथों का खूब अध्ययन भी किया.
डॉ. यमुना प्रसाद बताते हैं कि यह उनकी यह सातवीं पुस्तक है. यह उनके द्वारा लिखा गया पहला कविता संग्रह है. इस पूरे कविता संग्रह में भगवत गीता और रामचरितमानस का प्रभाव देखने को मिलता है. कई कविताओं में भागवत गीता के श्लोक और भाव का प्रयोग किया गया है. इसमें रामायण से जुड़ी तीन कविताएं भी मौजूद हैं. उन्होंने आगे बताया कि रावण को हमेशा से बुराई का प्रतीक माना गया है.
‘रावण बुरा राक्षस नहीं था’
लेकिन, रामचरितमानस में तुलसीदास ने रावण के व्यक्तित्व के बारे में विस्तार में बताया है. रावण कभी विचारों से बुरा राक्षस नहीं था, जबकि वह अपने पूर्व के जन्म के श्राप से मुक्ति के लिए बुरा बनने का प्रयास करता था. उसका देह तामसिक था, वह भक्ति के मार्ग से मोक्ष प्राप्त नहीं कर सकता था, जिस कारण उसने प्रभु को अवतार लेने पर विवश कर दिया. अपने पूरे परिवार को प्रभु के हाथों से परलोक भेजने के बाद ही खुद मुक्त हुआ.
किताब की इतनी कीमत
लेखक कहते हैं कि जब-जब उनके ऊपर भावनाओं का भार हुआ, तब तब उन्होंने लिखा. यह कविता संग्रह कई सालों के बाद तैयार हुआ है. इसमें करेंट अफेयर्स, धर्म, सामाजिक मुद्दे आदि विषयों पर कविता हैं. इस कविता संग्रह को ऑथर पब्लिकेशन दिल्ली के द्वारा प्रकाशित किया गया है. इस पूरे संग्रह में 250 पन्ने हैं. वही इसका मूल्य 595 रुपये है. किताब अमेजन पर भी उपलब्ध है.
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FIRST PUBLISHED : September 30, 2024, 14:34 IST