रांची: भारत में कई राज्य हैं और उनके अंदर कई जिले हैं. न्यूज18 हिंदी की इस सीरीज के तहत हम आपको यहां के प्रमुख शहरों के नाम का मतलब और उसका इतिहास बता रहे हैं. आज हम बात कर रहे हैं झारखंड की राजधानी रांची की. हरे-भरे पेड़ों से घिरा. यहां आपको हरियाली भी मिलेगी. यहां आपको आधुनिक मॉल भी मिलेंगे. कुछ समय पहले तक यहां ज्यादा विकास नहीं हुआ था. लेकिन आज ये शहर कई मामलों में मेट्रो सिटीज को भी टक्कर देने लगा है. रांची का नाम सुनते ही देश के ज्यादातर लोगों के मुंह से धोनी का शहर ही निकलेगा. लेकिन रांची का इतिहास काफी पुराना है. आइये आपको बताते हैं कि आखिर इस शहर का नाम रांची कैसे पड़ा.
बता दें कि 1845 से पहले रांची शब्द का जिक्र नहीं हुआ था. इस समय ये जगह जंगलों से ही घिरी हुई थी. अंग्रेजो की नजर में रांची एक ऐसी जगह थी जहां महिलाएं कंधे पर बच्चा टांगे रहती हैं और सिर पर टोकरी ढोती हैं. ये वाक्य आज भी रांची पर फिट बैठता है. आज भी अगर आप बाजार में चले जायेंगे तो आपको आदिवासी महिलाएं इसी तरह से नजर आएंगी.
यहां से हुई रांची की उत्पत्ति
अब बात करते हैं रांची शब्द के उत्पत्ति की. कहा जाता है कि इसकी उत्पत्ति मुंडारी भाषा के अरंची शब्द से हुई है. अरंची यानी हल जोतना. इसके अलावा रिची नाम की चिड़ियां, जो पहाड़ी मंदिर पर रहती है, उसके नाम से भी इस शहर का नाम रांची पड़ा था. पहले ये जगह लोहरदगा के अंदर थी. उसके बाद इसे किशुनपुर नाम दिया गया, जो आगे रांची में बदल गया.
समय के साथ आया बदलाव
आज से सौ साल पहले रांची बिलकुल अलग थी. आज सड़कों पर गाड़ी का शोर, ट्रैफिक देखकर निकलने का मन नहीं करता. जबकि उस दौर में सड़कों पर लोग ही नहीं दिखते थे. मौसम बिलकुल सुहाना हुआ करता था. बीते तीस से चालीस साल के अंदर इस शहर की तस्वीर बिलकुल बदल गई है. ना सिर्फ जनसंख्या बढ़ी है, साथ ही साथ लोगों की लाइफस्टाइल भी बदल गई है. अब रांची दिल्ली-मुंबई की राह पर चल पड़ी है.
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FIRST PUBLISHED : August 28, 2024, 17:30 IST