पंकज सिंगटा/शिमला: शिमला को ब्रिटिश राज के दौरान 1864 में ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया गया था. 1864 से 1947 में देश की आज़ादी तक शिमला देश की ग्रीष्मकालीन राजधानी रहा. यही कारण है कि शिमला आज़ादी से पहले की कई महत्वपूर्ण घटनाओं का गवाह रहा है. 1945 और 1946 की महत्वपूर्ण शिमला कॉन्फ्रेंस सहित कई महत्वपूर्ण घटनाएं शिमला में घटित हुई है.
भारत पाक के विभाजन का ड्राफ्ट भी शिमला में ही तैयार किया गया था. यह सभी घटनाएं शिमला की एक इमारत में हुई. जिसे आज इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ एडवांस स्टडीज(IIAS) के नाम से जाना जाता है. यह इमारत वाईसरीगल लॉज के नाम से भी जानी जाती है. यह ब्रिटिश भारत के वाइसराय और गवर्नर जनरल का आवास हुआ करती थी.
भारत पाक विभाजन को लेकर भी हुई चर्चाएं
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ एडवांस स्टडीज के जनसंपर्क अधिकारी अखिलेश पाठक ने Local 18 से कहा कि यह इमारत आज़ादी से पहले की कई महत्वपूर्ण घटनाओं की गवाह रही है. 1945 की शिमला कॉन्फ्रेंस, कबिनेट मिशन से सम्बंधित कुछ बैठकें हुई थी. भारत पाक विभाजन को लेकर चर्चा की बैठकें इस इमारत में हुई है. भारत पाक की बॉर्डर लाइन, जिसे रेड क्लिफ लाइन भी कहा जाता है. उन्हें भी शिमला में ही कार्यालय दिया गया था. निश्चित तौर पर IIAS में भारत पाक विभाजन से सम्बंधित भी कई चर्चाएं हुई थी.
क्या है इमारत का इतिहास
1864 में अंग्रेज़ों ने शिमला को भारत की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया. इसके बाद शिमला में कई भव्य इमारतों का निर्माण किया गया. 1888 में इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ एडवांस स्टडीज की ईमारत बन कर तैयार हुई. इस इमारत को उस समय के भारत के वायसराय लॉर्ड डफरिन के घर के रूप में बनाया गया था. इसी कारण इसे वाईसरीगल लॉज भी कहा जाता था. 1888 से 1947 तक यह भारत से सभी वायसराय और गवर्नर जनरल का निवास रही. इमारत का डिज़ाइन लोक निर्माण विभाग के एक वास्तुकार हेनरी इरविन ने तैयार किया था. इसकी को बनाने की लगत 9 लाख 70 हज़ार 93 रुपए आई थी. हेनरी इरविन स्कॉटलैंड के रहने वाले थे. इसलिए ईमारत को स्कोडिश बेनोरिअल स्टाइल की ईमारत भी कहा जाता है.
1965 में बना इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ एडवांस स्टडीज
1947 में देश की आज़ादी के बाद वाईसरीगल लॉज की इमारत राष्ट्रपति के अधीन हो गई. इमारत का नाम बदल कर राष्ट्रपति निवास कर दिया गया. आज़ाद भारत के दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वेपल्लि राधाकृष्णन ने 20 अक्टूबर 1965 को इस इमारत को इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ एडवांस स्टडीज के रूप में तब्दील कर दिया. यहां से राष्ट्रपति निवास को छराबड़ा के लिए शिफ्ट कर दिया गया. 1965 के बाद से यह इमारत इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ एडवांस स्टडीज के नाम से जानी जाती है.
1888 में सबसे पहले पहुंची थी बिजली
वाइसरीगल लॉज में 1888 में ही बिजली आ गई थी. यह शिमला शहर के बाकी हिस्सों से बहुत पहले थी. इस भवन में 1888 से ही कन्सील्ड वायरिंग लगी हुई है. लोगों के घरों में 80 और 90 के दशकों तक भी कन्सील्ड वायरिंग नहीं हुआ करती थी. शिमला के करीब चाबा नामक स्थान से सतलुज नदी के माध्यम से यहां बिजली पहँचाई गयी थी. लंदन से एक जनरेटर यहाँ लाया गया था. उसके माधयम से भी यहाँ बजली की सप्लाई की जाती थी.
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FIRST PUBLISHED : August 15, 2024, 15:39 IST