Homeदेश'आप बयान के नतीजों को नहीं समझते', SC हुआ नाराज, किसने झट...

‘आप बयान के नतीजों को नहीं समझते’, SC हुआ नाराज, किसने झट से मांगी माफी

-


हाइलाइट्स

हिमाचल प्रदेश सरकार दिल्‍ली को पानी देने के बयान से मुकरासुप्रीम कोर्ट की नाराजगी पर हिमाचल ने झट से माफी मांग लीशीर्ष अदालत ने हिमाचल को 136 क्‍यूसेक पानी छोड़ने को कहा था

नई दिल्ली. देश की राजधानी दिल्‍ली में पानी का संकट लगातार गहराता जा रहा है. सरकारें इस समस्‍या को नहीं सुलझा सकीं तो यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया. शीर्ष अदालत में भी अभी तक इसका कोई मुकम्‍मल हल नहीं निकल सका है. सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश को 136 क्‍यूसेक पानी छोड़ने का निर्देश दिया था. अब हिमाचल प्रदेश गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट अपने पूर्व के बयान से पलट गया. हिमाचल प्रदेश के जवाब से सुप्रीम कोर्ट काफी नाराज हो गया. कोर्ट ने हिमाचल के रवैये पर सख्‍त ऐतराज जताते हुए कहा कि आपको अपने बयान का नतीजा नहीं प‍ता है. कोर्ट की नाराजगी को देखते हुए हिमाचल की ओर से कोर्ट में पेश हुए एडवोकेट जनरल ने तत्‍काल माफी मांग ली. दिल्‍ली सरकार की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने लगे हाथ इस समस्‍या और विभिन्‍न पक्षकारों पर तंज भी कस दिया.

हिमाचल प्रदेश सुप्रीम कोर्ट में अपने पिछले बयान से पलटते हुए कहा कि उसके पास अतिरिक्त पानी नहीं है. इसके बाद शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार को जलापूर्ति के लिए अपर रिवर यमुना बोर्ड (यूवाईआरबी) का दरवाजा खटखटाने का निर्देश दिया. जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस प्रसन्ना बी वराले की वेकेशन बेंच ने दिल्ली सरकार को बोर्ड को मानवीय आधार पर पानी की आपूर्ति के लिए आवेदन देने का निर्देश दिया. साथ ही कहा कि बोर्ड शुक्रवार को बैठक बुलाए और दिल्ली सरकार के जलापूर्ति आवेदन पर जल्द से जल्द निर्णय ले. हिमाचल प्रदेश सरकार ने पिछला बयान वापस लेते हुए सुप्रीम कोर्ट से कहा कि उसके पास 136 क्यूसेक अतिरिक्त पानी नहीं है. पीठ ने कहा कि राज्यों के बीच यमुना जल बंटवारे का मुद्दा जटिल और संवेदनशील है तथा अदालत के पास अंतरिम आधार पर भी इसका फैसला करने की तकनीकी विशेषज्ञता नहीं है. कोर्ट ने कहा, ‘इस मुद्दे को 1994 के समझौता ज्ञापन में पक्षों की सहमति से गठित निकाय के विचारार्थ छोड़ दिया जाना चाहिए.’

CJI चंद्रचूड़ का आदेश रुकवाने केजरीवाल की पार्टी पहुंची सुप्रीम कोर्ट, अभिषेक सिंघवी ने दी दलील, तुरंत मिली राहत

हिमाचल का यू टर्न से कोर्ट नाराज
हिमाचल प्रदेश के महाधिवक्ता ने कहा कि अधिशेष जल की उपलब्धता के बारे में दिया गया पूर्व बयान सही नहीं था और उन्होंने इसे वापस लेने के लिए पीठ से अनुमति मांगी. कोर्ट इस बात को लेकर नाराज दिखा. पीठ ने गुस्से में कहा, ‘यह बहुत गंभीर और संवेदनशील मामला है. आप अपने बयान के नतीजों को नहीं समझते. आपने इसके परिणामों को समझे बिना ही ऐसा बयान दे दिया. अगर यह इतना महत्वपूर्ण मामला नहीं होता, तो हम आपको अवमानना ​​का दोषी ठहराने के वास्ते इसे लंबित रखते.’ इस पर हिमाचल के एडवोकेट जनरल ने माफी मांगी और कहा कि वह पूर्व बयान को वापस लेने के लिए हलफनामा दाखिल करेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने पहले पानी की बर्बादी और टैंकर माफिया को लेकर आप सरकार की आलोचना की थी और जानना चाहा था कि इस समस्या को कम करने के लिए उसने क्या कदम उठाए हैं.

अभिषेक मनु सिंघवी का तंज
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट दिल्ली सरकार द्वारा दाखिल एक याचिका पर सुनवाई कर रही है. याचिका में हिमाचल प्रदेश द्वारा उपलब्ध कराए गए अतिरिक्त पानी को छोड़ने के लिए हरियाणा को निर्देश देने का अनुरोध किया गया था, ताकि राष्ट्रीय राजधानी में जल संकट कम हो सके. सुनवाई शुरू होते ही दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील अभिषेक सिंघवी ने कहा कि पानी की उपलब्धता बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे. हालांकि, उन्होंने यूवाईआरबी पर तंज कसते हुए सुझाव दिया कि अदालत को एक समिति गठित करने पर विचार करना चाहिए, क्योंकि बोर्ड नौकरशाही निकाय बनकर रह गया है. पानी की बर्बादी रोकने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में बताते हुए सिंघवी ने कहा कि कार धुलाई पर प्रतिबंध जैसे निर्देश जारी किए गए हैं. उन्होंने कहा कि वजीराबाद बैराज में पानी का स्तर सामान्‍य बनाए नहीं रखा जा रहा है. हरियाणा सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने उनके दावे का पुरजोर विरोध किया और कहा कि वजीराबाद में अपेक्षित जल स्तर बनाए रखा जा रहा है.

(इनपुट: भाषा)

Tags: Abhishek Manu Singhvi, Delhi news, Supreme Court



Source link

Related articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
0FollowersFollow
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
spot_img

Latest posts