अर्पित कुमार बड़कुल, दमोह: मध्यप्रदेश के दमोह जिले में हाल ही में हुई मूसलाधार बारिश ने किसानों की दलहनी फसलों को बर्बाद कर दिया है. भारी वर्षा के चलते खेतों और खलिहानों में खड़ी फसलें पानी में डूब गईं, जिससे सूखी फसलें सड़कर खराब हो गईं। मौसम विभाग के अनुसार, इस साल 1 जून से अब तक जिले में 718.7 मिमी (28.3 इंच) औसत बारिश दर्ज की गई है, जो पिछले साल की तुलना में 1.2 इंच कम है। हालांकि, तेंदूखेड़ा में इस वर्ष अब तक सबसे अधिक 969.2 मिमी वर्षा दर्ज की गई है.
भारी बारिश से जिले के कई इलाके प्रभावित
दमोह जिले के तेंदूखेड़ा, हटा, पथरिया, और बटियागढ़ सहित कई क्षेत्रों में भारी बारिश ने कहर बरपाया है. यहां के खेत कई दिनों तक जलमग्न रहे, जिससे उड़द, सोयाबीन, और मक्का जैसी फसलें खराब हो गईं. खेतों में जलभराव के कारण फसलें सड़कर बर्बाद हो गईं, जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है.
किसानों पर कहर बनकर बरसी बारिश
इस साल बारिश ने कई इलाकों को जलमग्न कर दिया, जिससे खेतों में पानी भर गया. सूखकर कटने के लिए तैयार खड़ी फसलें भी इस तेज बारिश की चपेट में आकर नष्ट हो गईं. अधिक बारिश के कारण खेतों में पानी भरने से फसलों की जड़ें सड़ गईं और पौधे मर गए. इससे मिट्टी का कटाव भी हुआ, जिससे पोषक तत्व बह गए और फसलों को उचित पोषण नहीं मिल सका. इसके अलावा, अत्यधिक नमी के कारण फसलों में बीमारियां फैल गईं, जिससे उपज में कमी आई.
जलभराव और कीड़ों का प्रकोप
खेतों में जलभराव के कारण कीड़ों का प्रकोप बढ़ गया, जिससे फसलों को और भी अधिक नुकसान पहुंचा. विशेषज्ञों का कहना है कि इस समस्या से निपटने के लिए खेतों में नाले या नालियां बनाकर अतिरिक्त पानी को निकाला जा सकता है. साथ ही, किसान फसल बीमा करवाकर इस प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान की भरपाई कर सकते हैं.
इस बार की मूसलाधार बारिश ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया, जिससे जिले के कई किसान गहरे संकट में हैं.
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FIRST PUBLISHED : September 18, 2024, 16:07 IST