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Satna News : सतना में मकर संक्रांति के पहले पतंगबाजी का उत्साह चरम पर है. चाइनीज़ मांझे के खतरों को देखते हुए लोग देसी धागे को प्राथमिकता दे रहे हैं. पर्यावरण और पक्षियों की सुरक्षा के लिए यह सकारात्मक बदलाव है, जो त्योहार को सुरक्षित…और पढ़ें
सतना. मकर संक्रांति से पहले ही सतना में पतंगों का क्रेज अपने चरम पर पहुंच चुका है. बाजारों में इस बार रंग-बिरंगी और नए डिज़ाइन की पतंगें लोगों को खूब आकर्षित कर रही हैं. बच्चों से लेकर युवाओं तक हर कोई पतंगबाजी की तैयारियों में जुटा है.
इस साल जिले में पर्यावरण और पक्षियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए चाइनीज़ माँझे का बहिष्कार जोर पकड़ रहा है. दुकानदारों का कहना है कि स्वदेशी माँझे की मांग में बढ़ोतरी देखी जा रही है. लोकल 18 से बात करते हुए स्थानीय निवासी विजय सिंह ने बताया कि पहले लोग चाइनीज़ माँझे को प्राथमिकता देते थे क्योंकि यह पतंग काटने में तेज़ होता था. लेकिन इसके दुष्प्रभाव को देखते हुए अब लोग देसी धागे का इस्तेमाल कर रहे हैं.
चाइनीज़ माँझे से सुरक्षा का सवाल
संदीप सिंह ने बताया कि चाइनीज़ माँझे से मकर संक्रांति के दौरान चिड़ियों की मौत और सड़क हादसों की घटनाएं बढ़ जाती हैं. इस बार बाजार में चाइनीज़ माँझा लगभग गायब है क्योंकि लोग और व्यापारी इसे खरीदने और बेचने से बच रहे हैं.
सकारात्मक बदलाव का संकेत
सतना में इस बदलाव को एक सकारात्मक कदम के रूप में देखा जा रहा है. चाइनीज़ माँझे की जगह देसी धागे का उपयोग न केवल पक्षियों और पर्यावरण के लिए अच्छा है बल्कि यह स्थानीय व्यवसाय को भी बढ़ावा देता है. मकर संक्रांति पर इस बदलाव के साथ लोग उत्सव को अधिक सुरक्षित और पर्यावरण-अनुकूल तरीके से मना रहे हैं.
पतंगबाजी का आनंद
सतना की गलियों और छतों पर मकर संक्रांति के दिन पतंगों की रंगीन छटा और पतंग काटने की प्रतियोगिताएं देखने को मिलेंगी. इस उत्साह के साथ लोग इस बार पर्यावरण के प्रति भी जिम्मेदारी दिखा रहे हैं.