पश्चिम चम्पारण. अमलतास का गुलदस्ते नुमा फूल मन मोह लेता है. लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि ये सिर्फ देखने में ही नहीं अपने गुणों में भी भरपूर है. आयुर्वेद में इसका महत्व बताया गया है. आयुर्वेदाचार्य बताते हैं कि ये डायबिटीज, दिल और त्वचा रोग के इलाज में बेहद कारगर है.
आपने अपने घर के आस पास पेड़ों पर खिले, पीले रंग के अमलतास के फूलों को देखा होगा.बड़ी आसानी से उपलब्ध इन फूलों की महता यदि आप जान लें, तो फिर ज़मीन पर गिरने से पहले ही आप उन्हें इकट्ठा करना शुरू कर देंगे. आयुर्वेद में अमलतास के पेड़ को औषधीय वृक्ष के रूप में बताया गया है. इस पेड़ के फूल ही नहीं, बल्कि फल, छाल, तने और पत्तों को भी सेहत के लिए बेहद उपयोगी बताया गया है.
टाइप 2 डायबिटीज़ में बेहद असरदार
पिछले 40 वर्षों से पतंजलि में सेवा दे रहे आयुर्वेदाचार्य भुवनेश पांडे ने बेहतर स्वास्थ्य के लिए अमलतास के उपयोग की पूरी जानकारी दी है. वो बताते हैं मधुमेह एक ऐसी बीमारी है, जिसका स्थाई तौर पर कोई इलाज नहीं है. यदि यह एक बार हो जाए तो फिर जीवन भर साथ रहता है. यह रोग रक्त में शर्करा के स्तर में वृद्धि के कारण होता है, क्योंकि अग्न्याशय हार्मोन इंसुलिन रिलीज करने में असमर्थ हो जाता है. खासतौर पर यदि बात टाइप 2 डायबिटीज की की जाए, तो इसमें अग्न्याशय से इंसुलिन हार्मोन का निकलना पूरी तरह से बंद हो जाता है. ऐसे में आप संतुलित आहार लेने और रोजाना व्यायाम करने के साथ अमलतास का सेवन कर सकते हैं.
ऐसे इस्तेमाल करें
जानकार बताते हैं अमलतास के फूल और पत्तियों पर कई शोध किए गए हैं. अध्ययन से यह प्रमाणित हो चुका है मधुमेह रोगी के लिए अमलतास किसी वरदान से कम नहीं है. इसमें एंटी-डायबिटिक गुण होते हैं, जो शुगर कंट्रोल करने में मददगार होते हैं. अमलतास के पत्तों को अच्छे से धो लें और फिर इसे पीसकर रस निकाल लें. ये रस रोजाना एक चौथाई कप में लें. स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक यह शुगर को नियंत्रित करने में मदद करता है.
बुखार, टीबी, स्किन और दिल के रोगों में कारगर
आयुर्वेद के अनुसार बुखार, पेट संबंधित बीमारियां, त्वचा रोग, खांसी, टीबी और ह्रदय रोग में अमलतास का इस्तेमाल किया जा सकता है. कई प्राचीन ग्रन्थों में भी अमलतास का विवरण मिलता है. अंग्रेजी में इसे गोल्डन शावर ट्री कहा जाता है. ऐसा कहा जाता है गोल्डन शावर ट्री में फूल खिलने के बाद बारिश होती है.अच्छी बात यह है कि यह पेड़ देश के सभी भागों में पाया जाता है.
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FIRST PUBLISHED : June 10, 2024, 20:00 IST