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इस विधि से फसलों की लागत शून्य कर रहा बाराबंकी का ये युवा किसान

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Co-crop tips : इससे न केवल कुल उत्पादन बढ़ाने में सहायता मिलती है बल्कि प्रतिकूल परिस्थितियों में नुकसान कम होता है.

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कैसी होती है सहफ़सली की खेती

बाराबंकी. खेती-किसानी को आमदनी का मुख्य जरिया बनाना कम चुनौतीपूर्ण नहीं है. लेकिन इस चुनौती से कुछ किसान बाखूबी निपट रहे हैं. ऐसे ही एक किसान हैं बाराबंकी के आनंद मौर्या, जो खेती में अपने अभिनव प्रयोगों के लिए अक्सर सुर्खियों में रहते हैं. इन दिनों वे एक ही खेत में कई फसलें उगाकर बढ़िया मुनाफा कमा रहे हैं. एक खेत में एक साथ एक से अधिक फसलों की किसानी को सहफसली खेती कहते हैं. खेती की इस विधि में मुख्य फसल की दो कतारों के बीच में जल्दी पकने और बढ़ने वाली फसलें बोई जाती हैं.

मुख्य फसलों के साथ सहफसलों को लेने से किसानों को न केवल कुल उत्पादन बढ़ाने में सहायता मिलती है बल्कि प्रतिकूल परिस्थितियों में नुकसान कम होने की भी संभावना बढ़ जाती है. इससे अलग-अलग खेती की लागत में कमी आती है. सहफसली खेती में पत्ता गोभी उगाने से केले की फसल पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, बल्कि केला आम तौर पर बड़ा और गुणवत्तायुक्त हो जाता है. पत्ता गोभी की फसल एक से डेढ़ महीने की होती है, जबकि केला लगभग 12 से 14 महीने में तैयार होता है.

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, केले की फसल में अन्य फसलों की खेती काफी फायदेमंद हैं. बाराबंकी जिले के पल्हरी गांव के रहने वाले प्रगतिशील किसान आनंद मौर्या भी कई साल से सहफसली की खेती कर रहे हैं. आज वे करीब डेढ़ एकड़ से ज्यादा की जमीन पर केला और पत्ता गोभी एक साथ उगा रहे हैं. इस खेती से उन्हें एक फसल पर तीन से चार लाख रुपये मुनाफा हो रहा है.

केले की फसल फ्री
किसान आनंद मौर्या ने लोकल 18 को बताया कि सबसे पहले उन्होंने केला के साथ मेंथा की खेती शुरू की थी, जिसमें उन्हें अच्छा फायदा देखने को मिला. आनंद के अनुसार, सहफसली खेती से हमें एक फायदा ये भी है कि केला करीब 12 से 14 महीने में में तैयार होता है. केला उगाने की लागत मेंथा और पत्ता गोभी से निकल आती है. इससे केले की फसल फ्री हो जाती है.

आनंद बताते हैं कि इस समय उनके केले में पत्ता गोभी लगी है, जिसमें उन्हें सरकार की तरफ से अनुदान भी मिला है. इससे उनकी लागत और भी कम हो गई है. यूं समझिए लागत न के बारबार है और मुनाफा तीन से चार लाख रुपये तक आराम से हो जाता है. उधर, पत्ता गोभी की फसल एक से डेढ़ महीने तक चलेगी. फिर इसमें दूसरी फसलों की बुवाई की जा सकती है.

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