परमजीत /देवघर – झारखंड के देवघर जिले में बाबा बैद्यनाथ धाम मंदिर है. यहां माना जाता है कि साक्षत भगवान शिव और माता शक्ति विराजमान है. इसके साथ ही देवघर को नटराज की धरती भी कहा जाता है. यहां एक से बढ़कर एक कलाकार देखने को मिल जाएंगे. वहीं, देवघर जिले के बिलाशी मोहल्ले के रहने वाले 84 वर्षीय रजत मुखर्जी कला के धनी माने जाते हैं.उन्होंने अपने घर को म्यूजियम बना रखा है.
दरअसल, रजत मुखर्जी पेशे से शिक्षक और पर्यावरणविद् है. यह 50 सालों से भी ज्यादा समय से डाक टिकट संग्रह कर रहे हैं. डाक टिकट संग्रह करते-करते इन्होंने तीस हजार से भी ज्यादा डाक टिकट संग्रह कर चुके हैं. एक दो या पांच नहीं बल्कि सो देशो भी अधिक देशों के डाक टिकट इनके पास मौजूद है. रजत मुखर्जी को डाक टिकट संग्रह करने का ही जुनून सवार नहीं है, बल्कि अलग-अलग देशों के कई पुराने सिक्के भी इनके पास उपलब्ध हैं. यह जुनून इन्हें बचपन से ही सवार है.
क्या कहते है रजत मुख़र्जी
जब लोकल 18 के संवाददाता परमजीत कुमार रजत मुखर्जी ने लोकल 18 से कहा कि मुझे डाक टिकट संग्रह करने का शौक बचपन से ही था. जब वह 12 साल का थे तब उन्होंने अपने जीवन का पहला डाक टिकट संग्रह किया था. उसके बाद से ही यह डाक टिकट और पुराने सिक्के संग्रह करने का सिलसिला जारी रहा है. अभी उनके पास डाक टिकट के अलावे फीफा वर्ल्ड कप के भी डाक टिकट मौजूद है. इसके अलावा ब्रिटिश काल की रिवेन्यू टिकट भी उन्होंने संग्रह किया है. डाक टिकट का संग्रह करने के लिए 1932 से देवघर के डाकघर में कुछ घंटे फ्री में कार्य करते थे. इसके साथ ही वह गरीब बच्चों को फ्री में शिक्षा भी देते थे. आज उनके पढ़ाया हुए बच्चे विदेश में नौकरी कर रहे हैं.रजत मुखर्जी बताते हैं कि यह डाक टिकट उन्हें अतीत के पन्नों को याद दिलाती है जो अब काफी पीछे छूट चुकी है.
चिड़ियों के बनाते है स्केच
रजत मुख़र्जी ना सिर्फ डाक टिकट संग्रह करते है. बल्कि अववल दर्ज़े के आर्टिस्ट है. रजत मुखर्जी चिड़ियों के कई प्रजाति गौरैया, तोता, मैना, सारस इत्यादि की तस्वीर बनाई है. तस्वीर ऐसी की देखने के बाद मन मोह ले.रजत मुख़र्जी ने 500 से भी अधिक चिड़ियां की कलाकारी आपने हाथो से बनाये है.
सभी फीफा वर्ल्डकप के है डाक टिकट
1930 में फीफा वर्ल्ड कप की शुरुआत हुई थी. तब से लेकर अभी तक जितने भी फीफा वर्ल्ड कप हुए हैं. सभी के डाक टिकट जारी किए गए थे. देवघर के रजत मुखर्जी ऐसे शख्सियत है. जिनके पास 1930 से लेकर अभी तक के जारी किए गए है. फीफा वर्ल्ड कप के डाक टिकट उनके पास मौजूद है.
कलम को भी रखते हैं संग्रह करके
रजत मुखर्जी को लिखने का भी काफी शौक रहा है. उन्होंने पर्यावरण को लेकर अखबार एवं अन्य की जगह पर आर्टिकल लिख चुके हैं.आमतौर पर जिस कलम की सिहायी खत्म हो जाती है उसे फेंक दिया जाता है. लेकिन, रजत मुखर्जी जब पर्यावरण को लेकर या अपने मन की बात जिस कलम से लिखते है. उस कलम को भी संजोकर रखा है.करीब 300 कलम रजत मुखर्जी ने संग्रह करके रखा है.
काफी लोग देखने पहुंचते हैं डाक टिकट
देवघर ही नहीं बल्कि आसपास जिले के लोग भी इनके द्वारा संग्रह किये गए डाक टिकट को देखने के लिए काफी लोग पहुंचते हैं. कला एवं संस्कृति के तरफ से भी कोई अभी तक सहायता नहीं मिली है. इन सभी दुर्लभ डाक टिकटों के संग्रहण की आने वाली पीढ़ी डाक टिकट के माध्यम से अतीत को जान सके.
Tags: Deoghar news, Hindi news, Jharkhand news, Latest hindi news
FIRST PUBLISHED : May 21, 2024, 19:30 IST