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उज्जैन के आचार्य से जानिए प्रदोष व्रत में किन नियमों का पालन करना है जरूरी

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उज्जैन. हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है. यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए समर्पित है. इस खास दिन पूजा-अर्चना करने से भगवान शिव की कृपा से सुख-समृद्धि और जीवन में सफलता की प्राप्ति होती है. दरअसल, एक महीने में 2 बार प्रदोष व्रत किया जाता है. इस दिन सुबह से लेकर शाम तक व्रत किया जाता है और भगवान शिव समेत उनके पूरे परिवार की आराधना की जाती है. साथ ही, विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने के बाद व्रत का पारण किया जाता है. आइए जानते हैं उज्जैन के पंडित आनंद भारद्वाज से नवंबर के महीने में पहला प्रदोष व्रत कब आ रहा है.

कब रखा जाएगा प्रदोष व्रत
वैदिक पंचांग के अनुसार हर महीने की तरह नवंबर में भी दो प्रदोष व्रत पड़ेंगे. हिंदू पंचांग के अनुसार, नवंबर का पहला प्रदोष व्रत कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि यानी 13 नवंबर, बुधवार के दिन रखा जाएगा. इस दिन का पूजा मुहूर्त शाम 05 बजकर 49 मिनट से रात 08 बजकर 25 मिनट तक रहेगा.

बुध प्रदोष व्रत का महत्व
प्रदोष व्रत को करने से भगवान शिव की कृपा मिलती है और बुध प्रदोष व्रत करने से भगवान भोलेनाथ आपकी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. प्रदोष व्रत के पुण्य प्रभाव से व्यक्ति के संकट दूर होते हैं, दुख, कष्ट और पाप का नाश होता है. शनि प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति को पुत्र की प्राप्ति होती है.

जरूर करें इन नियमों का पालन

-प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि के बाद सूर्य देव को अर्घ देकर व्रत का संकल्प लें.
-इसके बाद पूजा स्थल की अच्छे से सफाई करके भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करें.
-इसके बाद शिव परिवार का पूजन करें और भगवान शिव पर बेल पत्र, फूल, धूप, दीप आदि अर्पित करें. -फिर प्रदोष व्रत की कथा का पाठ करें.
-पूजा के अंत में भगवान शिव की आरती करें और शिव चालीसा का पाठ जरूर करें. इसके बाद ही अपना उपवास खोलें.

FIRST PUBLISHED : November 11, 2024, 14:47 IST



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