महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के एग्जिट पोल सामने आ गए हैं. ज्यादातर में महायुति को जीतते हुए दिखाया जा रहा है. लेकिन रुकिये, ये नतीजे आखिरी नहीं हैं. महाराष्ट्र में अभी भी खेला हो सकता है. वोटिंग परसेंटेज तो इसी ओर इशारा कर रहा है. क्योंकि इस बार उतनी वोटिंग भी नहीं हुई है, जितनी 2019 के विधानसभा चुनावों में हुई थी. आमतौर पर माना जाता है कि अगर वोटिंग ज्यादा हो तो वोटर सरकार के खिलाफ गुस्से का इजहार करते हैं. लेकिन इस बार वोटिंग में वो पैटर्न नजर नहीं आ रहा है.
महाराष्ट्र में बुधवार शाम 5 बजे तक 58 प्रतिशत मतदान हुआ, जिसे औसत माना जा रहा है. क्योंकि 2019 में हुए विधानसभा चुनावों में यहां 61.74 वोटिंग हुई थी. उस वक्त लोगों ने बीजेपी और शिवसेना के पक्ष में समर्थन दिया था. लेकिन बाद में उद्धव ठाकरे की नाराजगी की वजह से शिवसेना अलग हो गई. उद्धव ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाई और खुद मुख्यमंत्री बन गए. हालांकि, बाद में शिवसेना टूट गई और बीजेपी ने एकनाथ शिंदे के साथ मिलकर सरकार बना ली. लेकिन जब 2024 में लोकसभा चुनाव हुआ तो 61.5% लोगों ने मताधिकार का प्रयोग किया. उस चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाली महायुति को करारा झटका लगा.
हमेशा एक जैसा पैटर्न
2014 में महाराष्ट्र में लगभग 63% मतदान हुआ था जबकि 2009 में 59 फीसदी लोगों ने वोट डाले थे. बात 2004 की करें तो उस वक्त 63% मत पड़े थे. इससे एक बा तो साफ पता चलती है कि महाराष्ट्र में 60 फीसदी के आसपास ही वोटिंग होती रही है. इन चुनावों में ज्यादातर वक्त बीजेपी और शिवसेना के नेतृत्व में ही सरकार बनती रही है. इस बार क्या बदलेगा, यह देखने वाली बात होगी. मराठवाड़ा में इस बार सबसे ज्यादा 60 फीसदी वोटिंग हुई है. ये वो इलाका है, जहां मराठा नेता मनोज जरांगे का प्रभाव माना जा रहा है.
हरियाणा उदाहरण
देश के कई राज्यों में अब तक जो वोटिंग का पैटर्न रहा है, वो बताता है कि जब भी ज्यादा वोटिंग होती है तो सरकार बदल जाती है. और अगर वोटिंग औसत होती है, तो सरकार के बरकरार रहने की संभावना ज्यादा होती है. ताजा उदाहरण हरियाणा का है. वहां वोटिंग पिछले चुनाव के लगभग बराबर रही, नतीजा बीजेपी की सरकार दोबारा वापस आ गई. इतना ही नहीं, अपने दम पर बहुमत के साथ लौटी. उसके वोटिंग प्रतिशत में भी मामूली इजाफा देखा गया.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
एक्सपर्ट की मानें तो चूंकि वोटिंग प्रतिशत में कोई बड़ा बदलाव नजर नहीं आता, इसलिए साफ लगता है कि वोटर्स न तो उत्साहित है और न ही उसमें इतना गुस्सा है कि वह सरकार बदल दे. इसलिए यह चुनाव किसी ओर जा सकता है. अब तक के पैटर्न से साफ लगता है कि महाराष्ट्र में जिसका गणित फिट बैठेगा, जीत उसी की होगी. यहां मुकाबला हर सीट पर अलग है और इसलिए नतीजे भी अलग हो सकते हैं.
Tags: Devendra Fadnavis, Exit poll, Maharashtra Elections, Rahul gandhi, Sharad pawar, Uddhav thackeray
FIRST PUBLISHED : November 20, 2024, 22:16 IST