ाGurugram Assembly Election: हरियाणा विधानसभा चुनाव के बीच आज राज्य की एक ऐसे शहर की सच्चाई से आपको रूबरू कराएंगे, जिसकी पहचान दुनिया के दूसरे देशों में साइबर सिटी और मिलेनियम सिटी के तौर पर होती है. इस शहर में जब पहली बार अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की पत्नी हिलेरी क्लिंटन आई थीं, तो उन्होंने कहा था ‘अगर भारत की विकास की रफ्तार देखनी है तो दिल्ली से सटे गुरुग्राम की गगनचूंबी इमारतों को आकर देख लीजिए. यहां की ऊंची-ऊंची बिल्डिंंग भारत के प्रगति की कहानी बयां कर रही है.’ लेकिन, आज अगर इस मिलेनियम सिटी में हिलेरी क्लिंटन आती तो शहर के आम लोगों की दुर्गति, बेबसी और लाचारी पर जरूर बोलती. यहां देश और दुनिया की तमाम बड़ी कंपनियों के दफ्तर हैं. लेकिन थोड़ी सी बारिश होने पर भी यहां की सड़कें तालाब बन जाती है. ट्रैफिक जाम की वजह से लोगों का दफ्तर आना जाना मुश्किल हो जाता है.
दरअसल, यह शहर भारत में मुंबई और चंडीगढ़ के बाद प्रति व्यक्ति आया वाला तीसरा सबसे बड़ा जिला है. ऊंची-ऊंची इमारतें, बड़ी-बड़ी देशी-विदेशी कंपनियों के कॉरपोरेट ऑफिस सब इस शहर में हैं. यह भारत का सबसे बड़ा साइबर सिटी कहलाता है. लेकिन शहर की समस्याएं इतनी हैं कि आप अगर स्थानीय निवासी से जानना चाहेंगे तो सुनते-सुनते शाम हो जाएगी. यहां सीवेज लिकेज, नालों को ओवर फ्लो, सड़कों आवारा जानवरों की डेड बॉडी, गंदा पानी, साफ-सफाई, बिजली, ग्रीन बेल्ट एरिया में अतिक्रमण और भ्रष्टाचार गुरुग्राम की सबसे बड़ी समस्या है.
गुरुग्राम में ये सारी समस्याएं क्यों नहीं दूर हो रही है?
शहर बड़ा,लकिन सुविधाओं का घोर अभाव
गुरुग्राम की ट्रैफिक की हालत ऐसी कि गमछा भीगने भर बारिश से शहर की यातायात व्यवस्था चरमरा जाती है. बिहार के पश्चिम चंपारण के रहने वाले श्रीराम इलेक्ट्रिक बाइक चलाते हैं. श्रीराम कहते हैं कि सड़कें यहां की इतनी खराब हैं कि हमेशा डर बना रहता है कि कहीं कोई हादसा न हो जाए. देखिए न पत्नी बोल रही है कि बारिश इतनी तेज हो रही है. कहां फंस गए हैं. सड़क पर पानी भर जाने से पता नहीं चलता है कि कहां बड़ा गड्ढा है और कहां कम? श्रीराम को बीच-बीच में पत्नी का फोन भी आता है और वह उठा कर कहते हैं कि एमजी रोड मेट्रो स्टेशन एक पैसेंजर को छोड़कर सीधे घर आ जाएंगे. बता दें कि कल (बुधवार) को ही सी-2 पालम विहार से एमजी रोड मेट्रो स्टेशन आने में एक बाइक को 54 मिनट लग गए. दूरी महज 12 किमी है.
गुरुग्राम में ये सारी समस्याएं क्यों नहीं दूर हो रही है? इस सवाल के जवाब पर स्थानीय लोगों के जवाब सुनकर आप चौंक जाएंगे. इन लोगों का कहना है कि शहर को नेताओं ने बर्बाद कर दिया. इन लोगों ने नाम ले-लेकर बीजेपी, कांग्रेस, जेजेपी और आईएनएलडी नेताओं के सरकारी जमीनों पर कब्जा और अतिक्रमण का कच्चा चिट्ठा खोल दिया. इन लोगों की मानें तो बीते कुछ सालों में नेताओं ने इस शहर को सबसे ज्यादा लूटा. जो नेता 50 गज के मकान में रहा करते थे, उन नेताओं की बड़ी-बड़ी कोठियां और मॉल बन गए हैं. जबकि स्थानीय लोग सड़क, बिजली, पानी, नाले और भ्रष्टाचार से त्रस्त है.
शहर की समस्याएं इतनी कि गिनती करना भूल जाएंगे.
किन मुद्दों को उठा रहे हैं स्थानीय लोग
गुरुग्राम के सी-1 ब्लॉक पालम विहार आरडब्ल्यू के प्रेसिडेंट ओ पी यादव कहते हैं, ‘मैं यहां पिछले 30 साल से रह रहा हूं. इस चुनाव में भी हम लोगों के लिए बेसिक सुविधाएं ही मुख्य मुद्दे हैं. आए दिन ट्रैफिक जाम, बिजली, पानी और नाला जाम की समस्या से जूझना पड़ता है. भू-माफियाओं के अवैध कब्जा को लेकर भी हमलोग परेशान रहते हैं. सोसाइटी की गेट तक बंद कर दिया जाता है. बहुत समस्याएं हैं यहां की क्या बताऊं?
प्रवीण यादव, प्रेसिडेंट यूजीआर यूनाइटेड गुरुग्राम कहते हैं, ‘शहर का सबसे बड़ा सीविल अस्पताल डिमोलिस कर दिया गया. सालों से वह जमीन खाली है. आईएसबीटी का काम सालों से अटका पड़ा है. गुरुग्राम के अंदर जितने भी नेता हैं, वे सारे के सार जमीन से जुड़े नेता नहीं हैं. आज तक मैंने गुरुग्राम के विधायक को जमीन पर नहीं देखा है. लोग मूलभूत समस्याओं से परेशान हैं. ग्रीन बेल्ट पर अवैध कब्जा, भ्रष्टाचार प्रमुख मुद्दे हैं. आप बताइए जिस अस्पताल की पुरानी बिल्डिंग यह कह कर तोड़ दिया गया कि यहां बड़ा अस्पताल बनेगा. उस जमीन पर आजतक अस्पताल बनकर क्यों नहीं तैयार हुआ? कौन लोग हैं जो अस्पताल बनने नहीं देना चाह रहे हैं? जब अस्पताल की जमीन पर कब्जाने की बात हो रही है तो आम आदमी की जमीन कैसे सुरक्षित रहेगी?
गुरुग्राम की मूलभूत समस्याओं को लेकर जनता की राय
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गुरुग्राम में 12 घंटे का वक्त बिताने और लगभग इतने ही स्थानीय लोगों ने बातचीत में कहा, ‘यहां मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है. सड़क पर अगर किसी जानवर की मौत हो जाती है तो कई दिनों का लाश सड़ता रहता है. यहां के नेता नेता जीतने पर सड़क, बिजली, नाले और पानी की समस्या भूल कर जमीन की सीएलयू बदलवाने पर ध्यान देने लगते हैं. यहां के 100 में से 95 फीसदी नेता प्रॉपर्टी और जमीन से जुड़े कारोबार करते हैं. गुरुग्राम में अगर सिर्फ सीएलयू (Change of Land Use) की ही जांच हो तो लाखों करोड़ रुपये के जमीन के घपले और उसमें भ्रष्टाचार निकल कर सामने आएंगे.’
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FIRST PUBLISHED : August 29, 2024, 12:00 IST