छतरपुर. जिले के लवकुश नगर के महोबा रोड में स्थित एक ऐसा हनुमान मंदिर है जिसका संबंध त्रेतायुग से है. खास मान्यता यह है कि यहां देशभर से भक्त अपने विवाह होने की कामना से आते हैं.अश्वमेध यज्ञ में जब लवकुश ने घोड़ा बांध लिया था तो हनुमान जी को भी बंदी बना लिया गया था. इसके बाद माता सीता ने कहा ये मेरा बड़ा पुत्र है. और तुमने बड़े भाई को ही बंदी बना लिया. आज भी यह मूर्ति बंधन से बंधी है और हनुमान जी कमर में कतार धारण किए हैं. मंगलवार और शनिवार को यहां दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं.
पुजारी मौसम प्रसाद तिवारी लोकल 18 से बातचीत में बताते हैं कि त्रेतायुग में जब राम जी ने अश्वमेध यज्ञ करवाया था तब लव और कुश ने अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को बांध लिया था. इस घोड़े को छुड़ाने के लिए बड़े-बड़े पराक्रमी,वीर योद्धा गए. जब सभी थक हार गए तब हनुमान जी को भेजा गया. लेकिन लव और कुश ने हनुमान जी को भी बंदी बना लिया. ये बात जब माता सीता को पता चली तो उन्होंने कहा कि हनुमान मेरा बड़ा पुत्र है और आपने अपने ज्येष्ठ भ्राता को ही बंदी बना लिया. छोटे भाइयों ने बड़े भाई को ही बंदी बना लिया इससे उनका अपमान हुआ. तभी से हनुमान जी का नाम बुकरा खेरा हो गया है.
आज भी बंधन से बंधी है मूर्ति
पुजारी बताते हैं कि ऐसी मूर्ति दूर-दूर तक नहीं हैं क्योंकि इस मूर्ति में गेर के बंधन आज भी बंधा है. यह कह सकते हैं विश्व में भी नहीं है. यह बंधन लव और कुश द्वारा बांधा गया था. साथ ही कमर में क़तार बांधे हुए हैं. हांथ में सूर्य देवता लिए हैं. हनुमान जी की इस मूर्ति को हमारे बाबा -पुरखे देखते आए हैं. इसलिए ये नहीं बता सकते कि ये मूर्ति कितनी पुरानी है. यूपी के मौदोहा से आए श्रद्धालु बताते हैं कि सालों से आ रहे हैं. हमारे पुत्र की मनोकामना पूरी हुई थी. इसलिए आज यहां हवन कराने और प्रसाद चढ़ाने आए हैं. पहले भी आते थे और हमेशा आते रहेंगे.
कुंवारों की शादी भी हो जाती है
महोबा से आईं पार्वती कहती हैं कि ये मूर्ति बचपन से देखते आए हैं. हमारी तो बहुत सी मनोकामनाएं पूरी हुई हैं. हर मंगलवार-शनिवार आते हैं. वहीं सावित्री कहती हैं यहां जो भी सच्चे मन से मनोकामना मांगता है उन सभी लोगों का हनुमान जी भला करते हैं. इस पावन स्थान पर जो भी गांठी लगा जाता है तो सब मनोकामनाएं पूरी होती है. जिसकी शादी नहीं होती है, यहां गांठी बांध देने से शादी भी हो जाती है. महिलाएं हनुमान जी की मूर्ति न ही छूती हैं और न ही अंदर जा सकती हैं.
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FIRST PUBLISHED : December 19, 2024, 09:44 IST