शशांक शेखर/जहानाबाद: बिहार सरकार द्वारा नारी सशक्तिकरण के लिए उठाए गए कई महत्वपूर्ण कदमों में से एक है “दीदी की रसोई”. यह पहल राज्य के विभिन्न जिलों में चलाई जा रही है और इसका उद्देश्य न केवल गरीबों को सस्ते और पौष्टिक भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करना है, बल्कि जीविका दीदियों को रोजगार भी प्रदान करना है. जहानाबाद जिले में इस योजना के तहत दो स्थानों पर रसोई संचालित हो रही है एक सदर अस्पताल में और दूसरा दक्षिणी क्षेत्र में स्थित डॉक्टर भीमराव अंबेडकर 10+2 अनुसूचित जाति आवासीय विद्यालय में.
550 बच्चों को मिल रहा है गुणवत्तापूर्ण भोजन
जहानाबाद के जिलाधिकारी अलंकृता पांडेय के मार्गदर्शन और जीविका की पहल से चल रही इस रसोई में 550 बच्चों को नियमित रूप से समय पर और गुणवत्तापूर्ण भोजन और नाश्ता मिल रहा है. रसोई में काम करने वाली कंचन देवी, जो कि डेढ़सैया पंचायत की निवासी हैं, बताती हैं कि वे पिछले 6-7 वर्षों से जीविका से जुड़ी हुई हैं और जनवरी 2023 से दीदी की रसोई में काम कर रही हैं. कंचन बताती हैं, हम लोग सुबह 4 बजे से ही काम शुरू कर देते हैं और सात बजे तक बच्चों को नाश्ता और 12 बजे तक भोजन प्रदान कर देते हैं. भोजन सरकार द्वारा निर्धारित मेन्यू के अनुसार ही तैयार किया जाता है.
16 महिलाएं जुड़ी हैं रसोई से
कंचन देवी के साथ ही इस रसोई में कुल 16 महिलाएं जुड़ी हुई हैं, जो दो शिफ्टों में काम करती हैं. सुबह की शिफ्ट में 8 महिलाएं काम करती हैं और शाम की शिफ्ट में बाकी महिलाएं काम करती हैं. रसोई से जुड़ी एक अन्य महिला, सुलेखा देवी कहती हैं, हमने बच्चों की सेवा करके अच्छा महसूस किया. हम सुबह 4 बजे से ही काम पर लग जाते हैं और समय से बच्चों को खाना परोस देते हैं.
जीविका एरिया कोऑर्डिनेटर का योगदान
विजय कुमार, जो कि काको प्रखंड में जीविका एरिया कोऑर्डिनेटर के रूप में कार्यरत हैं, बताते हैं, हमें ऑफिस से आदेश मिला कि सभी सीएससी/एसटी स्कूलों में दीदी की रसोई संचालित की जाए. इसके बाद हमलोगों ने मीटिंग बुलाई और इस पहल को शुरू किया. जिला समाज कल्याण विभाग की मदद से रसोई संचालन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया. काको प्रखंड में 35 महिलाएं इस योजना से जुड़ी हैं, जिसमें सफाई कर्मी भी शामिल हैं.
बच्चों का कहना
लोकल 18 की टीम ने बच्चों से बातचीत की और उन्होंने बताया कि उन्हें समय पर और स्वादिष्ट भोजन मिलता है, जिससे उनका स्वास्थ्य भी बेहतर हो रहा है. दीदी की रसोई ने न केवल बच्चों को समय पर पौष्टिक भोजन देने की व्यवस्था की है, बल्कि यह नारी सशक्तिकरण और सामुदायिक सहभागिता का बेहतरीन उदाहरण भी प्रस्तुत कर रहा है.
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FIRST PUBLISHED : November 20, 2024, 21:44 IST