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काले गेहूं की खेती से किसान हो जाएंगे मालामाल, जानें क्या है खासियत

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आजमगढ़: यूपी के आजमगढ़ में किसान विभिन्न फसलों की पैदावार कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. रवि एवं खरीफ दोनों फसलों की अच्छी उपज होती है. इसके अलावा सब्जियों की खेती कर किसान अपनी आमदनी को बढ़ाने में भी कामयाब हो रहे हैं. इसी तरह जनपद में काले गेहूं की खेती भी शुरू की गई है, जो किसानों के लिए एक अच्छे मुनाफे का सौदा हो सकती है. काला गेहूं काला सोने के नाम से जाना जाता है. इस बात से या अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह फसल किसानों के लिए कितनी लाभदायक हो सकती है.

मार्केट में है दोगुनी कीमत
जिले में काले गेहूं के उत्पादन की मांग अत्यधिक बढ़ी है. किसानों को इस फसल की मुंह मांगी कीमत भी मिल रही है. यही वजह है कि अब किसान इस काले सोने की तरफ लगातार आकर्षित हो रहे हैं. आजमगढ़ शहर के जीयनपुर ब्लॉक स्थित किसान इस काले गेहूं की खेती बड़े पैमाने पर कर रहे हैं. यह गेहूं अपने औषधीय गुणों के कारण मार्केट में लोगों की पसंद बना हुआ है. आमतौर पर मार्केट में गेहूं 2 हजार प्रति कुंतल तक बिकता है, लेकिन यह काला गेहूं 4 हजार प्रति कुंतल से अधिक की दर से मार्केट में आसानी से बिक जाता है.

औषधीय गुणों से है भरपूर
आजमगढ़ के कोटवा स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉक्टर अखिलेश का कहना है कि काला सोना नामक इस गेहूं में पिगमेंट की मात्रा ज्यादा पाई जाती है. इसके अलावा यह इम्युनिटी बढ़ाने में बेहद कारगर साबित होता है. यह गेहूं हृदय रोग, डायबिटीज, कैंसर जैसी भयंकर बीमारियों से भी लड़ने में मददगार है. कृषि वैज्ञानिक का कहना है कि बायोफर्टिफाइड होने के कारण इस गेहूं में पोषक तत्व की मात्रा ज्यादा होती है.

ऐसे करें काले गेहूं की खेती
रबी के मौसम में यानी अक्टूबर-नवंबर में काले गेहूं की खेती की जाती है. इस खेती की खासियत है कि इसमें लागत भी कम लगती है और ये सामान्य गेहूं की तुलना में चार गुना अधिक दाम पर बिकता है. काले गेहूं की खेती के लिए पर्याप्त मात्रा में नमी की जरूरत होती है.

जानें कितने दिनों में करें सिंचाई
इसकी बुवाई के समय खेत में प्रति एकड़ 60 किलो डीएपी, 30 किलो यूरिया, 20 किलो पोटाश और 10 किलो जिंक का इस्तेमाल करने से फसल की पैदावार अच्छी होती है. यह फसल के सिंचाई के समय पहली बार 60 किलो यूरिया प्रति एकड़ डालें. जहां काले गेहूं की सिंचाई बुवाई के 21 दिन बाद करें. इसके बाद समय-समय पर नमी के हिसाब से सिंचाई करते रहें. बालियां निकलते समय सिंचाई करना बेहद आवश्यक होता है.

Tags: Agriculture, Azamgarh news, Local18



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