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काश हमारे घर में भी कोई अधिकारी हो…पिता के सपने को पूरा कर दिखाया रीवा की आयशा ने, बनीं डिप्टी कलेक्टर

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Ayesha Ansari success story: आयशा अंसारी ने तीसरे प्रयास में डिप्टी कलेक्टर बनकर यह साबित किया कि मेहनत और संकल्प से कुछ भी संभव है. सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने यह उपलब्धि हासिल की. उनकी यह कहानी हर उस युवा के लिए प्रेरणा है, जो…और पढ़ें

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तीसरे प्रयास में रीवा की बनी डिप्ट कलेक्टर, पिता के आटो में बैठकर गई थी परिक्षा

रीवा: मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) ने राज्य सेवा परीक्षा 2022 का फाइनल रिजल्ट घोषित कर दिया है. इस बार रीवा की आयशा अंसारी, जो एक ऑटो चालक की बेटी हैं, ने डिप्टी कलेक्टर का पद हासिल कर प्रदेश में 12वीं रैंक प्राप्त की है. आयशा की सफलता उन सभी के लिए प्रेरणा है, जो सीमित साधनों के बावजूद अपने सपनों को साकार करने की कोशिश कर रहे हैं.

पिता के ऑटो में बैठकर देखा परीक्षा परिणाम
आयशा ने अपनी सफलता के पीछे अपने पिता का महत्वपूर्ण योगदान बताया. उन्होंने कहा कि पिताजी मेरे सबसे बड़े प्रेरणा स्रोत हैं. वे सुबह टहलने के दौरान अधिकारियों के बंगलों को देखते थे और हमेशा कहते थे कि काश हमारे घर में भी कोई अधिकारी हो. उनकी यही बात मेरे लिए प्रेरणा बन गई. परीक्षा परिणाम देखने के लिए भी आयशा अपने पिता के ऑटो में बैठकर गईं.

रीवा से ही शिक्षा, बिना कोचिंग की तैयारी
आयशा ने अपनी प्रारंभिक और उच्च शिक्षा रीवा से पूरी की.प्रारंभिक शिक्षा एक निजी स्कूल से और 12वीं शासकीय प्रवीण कन्या स्कूल से की. कोचिंग न लेकर सेल्फ स्टडी के माध्यम से उन्होंने यह सफलता हासिल की. आयशा ने अपने घर में एक छोटा सा स्टडी रूम बनाया और वहीं पढ़ाई की.

पढ़ाई का सही तरीका समझने में लगा समय
आयशा बताती हैं कि शुरुआत में उन्होंने रोजाना 12-13 घंटे पढ़ाई की, लेकिन अनुभव के साथ समझ आया कि पढ़ाई की गुणवत्ता ज्यादा महत्वपूर्ण है. इस दौरान उन्होंने 6-7 घंटे की प्रभावी पढ़ाई पर फोकस किया. यह उनका तीसरा प्रयास था. पहले प्रयास का परिणाम अभी तक नहीं आया है, जबकि दूसरे प्रयास में चयन नहीं हुआ.

माता-पिता और दोस्तों का सहयोग बना सफलता की कुंजी
आयशा अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और दोस्तों को देती हैं. उन्होंने कहा कि मेरे माता-पिता ने हमेशा मेरी शिक्षा को प्राथमिकता दी. वे कहते थे कि लड़कियों को पढ़ाई का मौका मिलना चाहिए. उनकी इसी सोच ने मुझे डिप्टी कलेक्टर बनने तक पहुंचाया. परीक्षा के दौरान उनके पिता का स्वास्थ्य ठीक नहीं था, लेकिन उन्होंने अपनी बेटी को कभी निराश नहीं होने दिया. उनकी मां, रुकसाना अंसारी, और दोस्तों ने भी हर परिस्थिति में उनका साथ दिया.

छोटे शहरों के लिए बनीं प्रेरणा
आयशा ने बताया कि छोटे शहरों में अक्सर लड़कियों को घर के कामकाज तक सीमित माना जाता है, लेकिन उनके माता-पिता ने उन्हें हमेशा प्रोत्साहित किया. उन्होंने संदेश दिया कि अगर लड़कियों को शिक्षा और अवसर मिलें, तो वे बड़ी से बड़ी उपलब्धि हासिल कर सकती हैं.

प्रयासरत युवाओं के लिए आयशा का संदेश
आयशा का मानना है कि असफलता को कभी भी अंत नहीं मानना चाहिए. उन्होंने कहा, “सफलता का रास्ता असफलताओं से होकर गुजरता है. मेहनत और लगन से किया गया प्रयास हमेशा फल देता है. मेरी सफलता इसका उदाहरण है.”

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