जयपुर. सैकड़ों बीजों वाली गाजर घास का पौधा किसानों का दुश्मन पौधा माना जाता है. यह एक तरीके का जंगली पौधा होता है. किसानों की भाषा मे इस घास को ‘आक्रामक घास’ कहा जाता है. इसका पौधा हर मौसम में उग जाता है. यह घास फसलों के साथ-साथ मनुष्य और पशुओं के लिए भी एक समस्या है. किसानों के अनुसार, इस खरपतवार को समय समय पर नियंत्रण करना जरूरी होता है. लेकिन आयुर्वेद के हिसाब से इसके कई प्रयोग है. इसके उपयोग से कई बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकता है.
एक पौधे पर उगते हैं हजारों बीज
गाजर घास से किसान हमेशा परेशान रहते हैं. गाजर घास की पत्तियों छोटी हरे रंग की गाजर जैसी होती हैं. इस पौधे पर एक साथ हजारों बीज एक साथ होते हैं, इसलिए यह घास खेतों में तेजी से उग जाती है. जब इसके बीज पककर झड़ना शुरू होते हैं, तो वे आसपास फैल जाते हैं. जिसके बाद खेत में उगी अन्य फसल को मिलने वाले पोषक तत्व खुद अवशोषण कर उन पौधों को खत्म कर देता है, इस कारण किसानों की फसल उत्पादन में भी कमी आती है. इसके अलावा यह घास पशुओं के लिए भी हानिकारक होती है. इससे दुधारू पशुओं का दूध कड़वा हो जाता है.
गाजर घास के औषधीय गुण
आयुर्वेदिक डॉक्टर किशन लाल ने बताया कि खरपतवार की तरह दिखने वाली घास औषधीय गुणों से भरपूर होती है. गाजर घास से बनी दवाइयां बैक्टीरिया और वायरस से होने वाले रोगों के इलाज में रामबाण इलाज माना जाता है. गाजर घास से बनी होम्योपैथिक दवा सांस के रोगों में बहुत फायदेमंद मानी जाती है. इस घास से सांस के मरीजों के लिए दवा बनाई जाती हैं.
कंपोस्ट खाद बनाने में भी आती है काम
इसके अलावा इसका उपयोग कंपोस्ट जैविक खाद बनाने में भी किया जाता है. यह खाद पर्यावरण के लिए बहुत फायदेमंद होती है. किसान गाजर घास से बनी कंपोस्ट खाद का सबसे ज्यादा प्रयोग करते हैं. गाजर घास से बनी खाद से भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ती है. इसके अलावा गाजर घास से बनी लुगदी से की प्रकार के कागज तैयार होते. यह घास व्यवसायिक दृष्टि से उपयोगी घास है.
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FIRST PUBLISHED : October 25, 2024, 11:22 IST