पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कई ऐसे काम किए, जिससे हजारों लोगों की तकदीर बदल गई. यही वजह है कि उनके निधन पर देश ही नहीं पूरी दुनिया में लोगों की आंखें नम हैं. पाकिस्तान हो या बांग्लादेश, अमेरिका हो या रूस, हर देश में उन्हें याद किया जा रहा है. उनके काम की तारीफ हो रही है. लेकिन आप जानकर हैरान होंगे कि अपने पड़ोसी देश बांग्लादेश में भी एक ऐसे शख्स हैं, जिन्हें ‘बांग्लादेश का मनमोहन सिंह’ कहा जाता है. उन्होंने भी कई काम ऐसे किए हैं, जिनकी पूरी दुनिया तारीफ करती है. लेकिन वे मनमोहन सिंह की तरह ‘मिस्टर क्लीन’ कभी नहीं रहे.
हम बात कर रहे मुहम्मद यूनुस की. बांग्लादेश की अंतरिम सरकार चला रहे मुहम्मद यूनुस की पहचान एक अर्थशास्त्री की है. उन्हें बांग्लादेश के हजारों लोगों को गरीबी से बाहर लाने का श्रेय दिया जाता है. कहते हैं कि मुहम्मद यूनुस चटगांव यूनिवर्सिटी के नजदीक एक गांव में गए थे, वहां उन्होंने गरीबी देखी. इसके बाद कई दर्जन ग्रामीणों को उन्होंने 10 डॉलर उधार में दिए. यूनुस ने उन लोगों को पैसे दिए, जिनको बैंक कभी कर्ज नहीं देता था. क्योंकि उनके पास कोई आधिकारिक डॉक्यूमेंट नहीं होता था. धीरे-धीरे इस मुहिम ने एक बैंक रूप का ले लिया और बांग्लादेश ग्रामीण बैंक यहीं से पैदा हुआ.
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नोबेल के साथ कई मेडल भी मिला
फिर तो मुहम्मद युनूस ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. ग्रामीण बैंक सिर्फ कर्ज नहीं, गरीब लोगों को कपड़े और ब्रॉडबैंड सेवा तक मुहैया कराने लगा. बैंक से मिले कर्ज की वजह से गरीब परिवार रोजगार करने लगे और धीरे-धीरे हजारों परिवार गरीबी रेखा से बाहर निकल आए. इसकी चर्चा पूरी दुनिया में होने लगी और आखिरकार 2006 में इसी काम के लिए मुहम्मद यूनुस को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया. 2009 में यूनाइटेड स्टेट्स प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम और 2010 में कांग्रेसनल गोल्ड मेडल मिला. यूनुस उन सात व्यक्तियों में से हैं जिन्हें नोबेल शांति पुरस्कार, यूनाइटेड स्टेट्स प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम और यूनाइटेड स्टेट्स कांग्रेसनल गोल्ड मेडल एक साथ मिला है.
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लेकिन आलोचना के घेरे में
मुहम्मद यूनुस की छवि मनमोहन सिंह की तरह क्लीन नहीं रही. वे मनमोहन सिंह की तरह राजनीति में भी आए, लेकिन जहां मनमोहन सिंह किसी की आलोचना नहीं करते थे, वहीं मुहम्मद यूनुस के पीछे एक साफ एजेंडा नजर आया. वे शेख हसीना के परिवार पर हमेशा हमलावर रहे. बांग्लादेश की सरकार के खिलाफ बयानबाजी करते रहे. शेख हसीना ने आरोप लगाया था कि मुहम्मद यूनुस अपनी व्यापारिक गतिविधियों से गरीब लोगों का खून चूस रहे हैं. यूनुस पर अमेरिका का पिछलग्गू होने का भी आरोप लगा.
जेल की सजा तक सुनाई गई
मुहम्मद यूनुस को दुनियाभर से दान के रूप में पैसे मिलते थे, लेकिन वे एक भी पैसा टैक्स नहीं चुकाते थे. एक दिन पकड़ में आ गए और सुप्रीम कोर्ट ने उन पर 10 लाख डॉलर से ज्यादा टैक्स का जुर्माना लगा दिया. इतना ही नहीं, जनवरी में मुहम्मद यूनुस समेत ग्रामीण बैंक के तीन कर्मचारियों को छह महीने कैद की सजा भी सुनाई गई थी. उन पर श्रम कानूनों के उल्लंघन का आरोप लगा. अब वे भारत के खिलाफ जहर उगलते रहते हैं.
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FIRST PUBLISHED : December 27, 2024, 17:08 IST