नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के उपराज्यपाल के उस अधिकार पर सील लगा दी है जिसके मुताबिक अरविंद केजरीवाल नीत आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार की सहायता और सलाह के बिना उपराज्यपाल एल्डरमैन अपॉइंट कर सकते हैं. सर्वोच्च न्यायालय की इस हरी झंडी के बाद यह सीधे सीधे बीजेपी बनाम आम आदमी पार्टी हो चुका है. मगर कौन होते हैं एल्डरमैन और एमसीडी की तस्वीर को बदल देने में क्या हो सकती है इनकी भूमिका, साथ सही समझते हैं क्या ये बदलाव आप बनाम बीजेपी हैं…
एल्डरमैन माने क्या…? ऐसे क्या अधिकार होंगे इनके पास जो इन्हें ‘ताकत’ देते हैं-
जैसा कि नाम से लगता है, एल्डरमैन अर्थ है अधिक उम्र का आदमी. दिल्ली नगर निगम के नियमावली की धारा 1957 के मुताबिक, दिल्ली के उपराज्यपाल एमसीडी में 10 लोगों को मनोनीत कर सकते हैं, मगर उनकी आयु 25 साल से अधिक होनी चाहिए. पारंपरिक रूप से एल्डरमैन वे लोग होते हैं जिन्होंने नगर निकाय में लंबी और खास प्रकार की सेवाएं की होती हैं औऱ सार्वजनिक महत्व के निर्णय लेने में सदन की सहायता की होती है. यूं तो नियमानुसार एल्डरमैन मेयर के चुनाव में वोटिंग नहीं कर सकते हैं. मगर, ये जोनल कमेटियों में वोटिंग कर सकते हैं. दिल्ली नगर निगम में सबसे ताकतवर स्टैंडिंग कमेटी के चुनाव के लिए जोनल कमेटियों से ही सदस्य चुनकर आते हैं. इसलिए इनकी नियुक्ति को लेकर तमाम कयास और सत्ता समीकरणों के बदलने की संभावनाएं जताई जा रही हैं.
सुप्रीम कोर्ट का फैसला से शुरू होती है अब AAP बनाम BJP की जंग
कोर्ट के फैसले का सीधा सा असर यह होने जा रहा है कि आम आदमी पार्टी (आप) एमसीडी चलाएगी लेकिन इसके खजाने यानी वित्त पर बीजेपी का नियंत्रण होगा. आप इसे बीजेपी के चुनाव हारने के बावजूद एमसीडी पर इंफ्लूएंस और कंट्रोल बनाए रखने के रूप में देख रही है.
वार्ड कमेटियों के लिए चुनाव सबसे पहले एमसीडी के 12 जोन में होंगे. सभी निर्वाचित पार्षद वार्ड समिति का हिस्सा हैं और वे एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष और एक स्थायी समिति सदस्य का चुनाव करने के लिए वोटिंग करेंगे. प्रत्येक वार्ड समिति एक सदस्य का चुनाव करेगी, जो स्थायी समिति की 18 सीटों में से 12 को भरेगा. एल्डरमैन भी अपने-अपने जोन में स्थायी समिति सदस्य का चुनाव करने के लिए अपना वोट देंगे. फिर सदन के सभी सदस्य शेष छह सदस्यों के लिए मतदान करेंगे.
यहीं पर खेला होता दिखता है… एलजी के एल्डरमैन के वितरण रणनीतिक पहल भी है. नरेला और सिविल लाइंस जोन के लिए चार-चार एल्डरमैन और सेंट्रल जोन के लिए दो एल्डरमैन नामित किए गए. नरेला जोन में जिसमें 16 निर्वाचित पार्षद हैं (पांच बीजेपी से, 10 आप से और एक निर्दलीय) हैं जबकि चार नामित एल्डरमैन स्वतंत्र पार्षद के समर्थन से स्थायी समिति के चुनावों में टाई बनाते दिखते हैं. सिविल लाइंस जोन में, जहां छह भाजपा और नौ आप पार्षद हैं, चार एल्डरमैन के जुड़ने से भाजपा को एक वोट का फायदा मिलता है. सेंट्रल जोन में, जहां 10 भाजपा, 13 आप और दो कांग्रेस पार्षद हैं, दो एल्डरमैन के नॉमिनेशन से भाजपा को कांग्रेस पार्षदों के संभावित समर्थन से आप से आगे निकलने में मदद मिल सकती है. बीजेपी के असर वाले अन्य वार्डों में केशवपुरम, नजफगढ़ और शाहदरा साउथ शामिल हैं, जबकि रोहिणी, सिटी एसपी, करोल बाग, पश्चिम और दक्षिण जोन में आप को क्लियर कट बहुमत मिला हुआ है.
हालांकि, सेंट्रल और नरेला जोन में आप सिर्फ एक वोट से आगे है. ऐसे में नरेला में निर्दलीय पार्षद और सेंट्रल में कांग्रेस के दो पार्षदों की भूमिका अहम होने वाली है. वहीं नगर निगम सचिव कार्यालय के हवाले से टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट कहती है कि कुछ पार्षदों ने कथित तौर पर पार्टी बदल ली है, लेकिन उनके नेताओं या पार्टियों से आधिकारिक तौर पर कोई जानकारी नहीं मिली है.
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FIRST PUBLISHED : August 6, 2024, 11:11 IST