रांचीः झारखंड विधानसभा चुनाव का शोर अब थम गया है. प्रत्याशी अब अपने घर पर हैं, मतदाता अपने काम पर. दोनों को अब 23 नवंबर का इंतजार है, जिस दिन नतीजे सामने आएंगे. हालांकि एग्जिट पोल ने कुछ पार्टियों को झटका दिया है तो कुछ को खुश होने का मौका. क्योंकि अधिकांश एग्जिट पोल एनडीए को बहुमत दिखा रहे हैं, ऐसे में इंडिया गठबंधन को बड़ा झटका लगा है. चुनाव खत्म होने के बाद राजनीतिक एक्सपर्ट सूबे के वोटिंग ट्रेंड को लेकर चर्चा कर रहे हैं. क्योंकि जिस तरह से मतदान प्रतिशत बढ़ा है, वो किसी ना किसी के लिए फायदेमंद साबित होने वाला है.
24 साल से चली आ रही है झारखंड की एक परंपरा
बिहार से झारखंड को अलग हुए 24 साल हो गए. इन 24 वर्षों में कई बार विधानसभा के चुनाव हुए. लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ कि किसी पार्टी की लगातार दूसरी बार सरकार बनी हो. हमेशा सत्ता परिवर्तन होता रहा है. झारखंड का ये ट्रेंड झारखंड मुक्ति मोर्चा यानी कि जेएमएम यानी कि हेमंत सोरेन के लिए चिंताजनक बात है. हैरानी की बात यह भी है कि झारखंड में कभी भी किसी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है. झारखंड में बहुमत का आंकड़ा 41 है. लेकिन आज तक इसे कोई पार नहीं कर पाया है. पिछले 4 विधानसभा चुनाव में ऐसा ही होता आया है. 2014 में भी बीजेपी को केवल 37 सीटों मिली थीं. इसके अलावा हैरान करने वाला आंकड़ा एक यह भी है कि 2009 के चुनाव के अलावा किसी चुनाव में भी चार पार्टियों को 10 से ज्यादा सीटें मिली हों. 2009 में बीजेपी और जेएमएम को 18-18 सीटें मिली थीं. वहीं कांग्रेस को 14 और जेवीएम को 11 सीटें मिली थीं.
झारखंड में वोटिंग परसेंटेज
झारखंड के 81 विधानसभा सीटों पर दो चरणों में मतदान हुआ. पहले चरण के 43 सीटों पर 13 नवंबर को वोटिंग हुई. उस दिन 66.65 फीसदी मतदान हुआ था, जो 2019 के विधावसभा चुनाव के मुकाबले 2.9 फीसदी अधिक है. वहीं दूसरे फेज में 38 सीटों पर 68 फीसदी मतदान हुआ था. इन सीटों पर पिछले विधानसभा चुनाव में 66.9 फीसदी मतदान हुआ था. वहीं अगर सीटों के हिसाब से बात करें तो सबसे अधिक वोटिंग जामताड़ा विधानसभा सीट पर हुई. जामताड़ा में कुल 77 फीसदी वोटिंग हुई.
झारखंड से क्या मिलेगा सरप्राइज?
झारखंड में सियासी तौर पर अस्थिरता बहुत है. वोटिंग ट्रेंड भी हैरान कर देने वाली है. क्योंकि जैसे ही वोटिंग प्रतिशत बढ़ते या घटते हैं मौजूदा सरकार के लिए खतरे की घंटी बज जाती है. बात करते हैं 2019 के विधानसभा चुनाव का क्योंकि 2019 में वोटिंग प्रतिशत कम हुआ तो बीजेपी की सरकार चली गई. वैसे तो आमतौर पर यह होता है कि अगर वोटिंग कम हुई है कि नतीजा सरकार के पक्ष में जाता है. लेकिन झारखंड के ट्रेंड उलटे रहे हैं. 2019 में 66.4 फीसदी मतदान हुआ था. वहीं इस हार दोनों ही चरणों में दो फीसदी अधिक वोटिंग हुई है. इसलिए नतीजा किसके पक्ष में आ रहा है ये कहना हर किसी के लिए मुश्किल हैं. हालांकि अधिकांश एग्जिट पोल में कमल खिलता हुआ नजर आ रहा है.
FIRST PUBLISHED : November 21, 2024, 14:22 IST