दीपक पांडेय/खरगोन: शारदीय नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की आराधना पूरे भारत में की जाती है लेकिन खरगोन के जमींदार मोहल्ले में गरबा उत्सव की एक ऐतिहासिक परंपरा ने जन्म लिया था. 47 साल पहले इस मोहल्ले में कुछ बालिकाओं द्वारा माता की झांकी में पहली बार गरबा की शुरुआत हुई थी. आज, यह उत्सव इतना भव्य हो चुका है कि 150 से अधिक टीमें इसमें हिस्सा लेकर शहर के सबसे बड़े सांस्कृतिक आयोजनों में से एक को जीवंत करती हैं.
याहू और जागृति पैनल की पहल
करीब 47 साल पहले, खरगोन के जमींदार मोहल्ले में याहू और जागृति नाम के दो पैनल द्वारा पहली बार शारदीय नवरात्रि के दौरान गरबा की शुरुआत की गई. उस समय मोहल्ले की कुछ बालिकाएं माता की आराधना कर रही थीं और आज सैकड़ों की संख्या में टीमें इस गरबा में भाग लेती हैं.
जमींदार मोहल्ले के श्री चिंतामण गणेश मंदिर में हिंगलाज माता की भव्य मूर्ति स्थापित है. मंदिर समिति के अध्यक्ष रवि भावसार ने बताया कि 47 साल पहले केवल माता की झांकी सजाई जाती थी. फिर लोगों ने भव्य मूर्ति की स्थापना का निर्णय लिया, जो अब श्रद्धालुओं का मुख्य आकर्षण है. इस मूर्ति की स्थापना के साथ ही गरबा उत्सव की भी शुरुआत हुई, जो आज भव्य रूप से मनाया जाता है.
दिव्य मूर्ति और अखंड ज्योत
मंदिर में हिंगलाज माता की छह भुजाओं वाली दिव्य मूर्ति स्थापित है, जिनके हाथों में त्रिशूल, पुष्प कमल, शंख, और अग्नि है. एक हाथ से माता भक्तों को आशीर्वाद देती हैं. चांदी के मुकुट, कुंडल और हार से सजी इस मूर्ति के पास भगवान परशुराम की भी मूर्ति है. स्थापना के बाद से ही यहां अखंड ज्योत जल रही है, जो भक्तों की आस्था का प्रतीक बन गई है.
नवरात्रि के दौरान, जमींदार मोहल्ले में दूर-दूर से लोग माता के दर्शन और गरबा का आनंद लेने आते हैं. यहां की 150 से अधिक बालिकाएं विभिन्न मंडलों में विभाजित होकर गरबा नृत्य प्रस्तुत करती हैं. हर मंडल का अपना अलग अंदाज होता है, जिससे यह परंपरा और भी खूबसूरत बन जाती है. पूरे खरगोन में नवरात्रि का उत्सव एक सांस्कृतिक महोत्सव के रूप में मनाया जाता है.
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FIRST PUBLISHED : September 29, 2024, 14:42 IST