शिखा श्रेया/रांची. कहते हैं अगर हौसला बुलंद और इरादे मजबूत हो तो जिंदगी में आर्थिक तंगी जैसी मुश्किल भी आसानी से पार की जा सकती है. इसके बावजूद मंजिल तक पहुंचा जा सकता है. इन्हीं बातों को झारखंड की राजधानी रांची के राजेश कुमार ने सच कर दिखया है. जिन्होंने कभी भी अपने आर्थिक तंगी के सामने घुटने नहीं टेके. वह रांची के गली-गली में अखबार बेचकर आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को रिप्रेजेंट करने जापान जाने वाले हैं.
दरअसल, राजेश का चयन इंटरनेशनल एसोसिएशन ट्रैफिक एंड सेफ्टी साइंस के फोरम के लिए हुआ है. इसके तहत 18 मई से 16 जुलाई तक जापान में 10 एशियाई देशों के बीच एक संवाद होगा. जिसका उद्देश्य “एक साथ सोचना और सीखना”है. इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य समूह अध्ययन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के माध्यम से एक-दूसरे के देशों को समझने के साथ-साथ एशिया में वर्तमान मुद्दों को हल करने के प्रयास का अवसर प्रदान करता है.
आर्थिक तंगी थी बड़ी चुनौती
राजेश बताते हैं कि आर्थिक तंगी के कारण पिछले 12 सालों से मैं रांची के गली मोहल्ले में अखबार बेचने का काम कर रहा हूं. क्योंकि, इससे मुझे जो आमदानी होती है. वह मैं अपनी पढ़ाई के लिए खर्च करता हूं. मैंने अपने पैसे से ही मारवाड़ी हाई स्कूल से स्कूलिंग की है. उसके बाद संत जेवियर कॉलेज से बीए और एमए की पढ़ाई की है.मुझे सोशल सर्विस करना काफी पसंद है. ऐसे समाज में काम करना चाहता हूं.जिससे लोगों में जागरूकता बढे.
12 सालों तक रांची में अखबार बेची
मैं खानदान का पहला इंसान हूं, जो किसी स्कूल या फिर बड़े कॉलेज में पढ़ा लिखा.क्योंकि, इससे पहले कोई भी स्कूल नहीं गया था. मेरे पिताजी एक किसान है. माता जी ग्रहणी है.लेकिन, मुझे हमेशा से पढ़ाई के प्रति काफी रुचि रहती है. पढ़ाई के महत्व को समझता था. क्योंकि, यही एक चीज है जो आपको समाज में इज्जत दिला सकती है. इसके साथ ही पूरे समाज को जागरुक व रहने के लिए एक सही जगह बना सकती है.
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FIRST PUBLISHED : May 13, 2024, 13:24 IST