यूं तो भारत के कई शहरों में गोलघर की इमारतें देखने को मिलती हैं, लेकिन सबसे मशहूर बिहार की राजधानी, पटना का गोलघर है. आज यह ये पटना शहर के सबसे आकर्षक टूरिस्ट आकर्षणों में गिना जाता है. कहा भी जाता है कि अगर पटना आकर गोलघर नहीं देखा तो पटना ही नहीं देखा. स्तूप के आकार की यह इमारत काफी बड़ी दिखाई देती है. इसके उपर से चढ़ कर पूरे शहर को देखा जा सकता है.
आम तौर पर अनाज रखने की जगह किसी किले, महल या मजबूत कोठी के किसी बड़े कमरे में बनाई जाती थी. लेकिन इतिहास में, खास तौर पर मध्य या आधुनिक इतिहास में बिरली ही ऐसी कोई इमारत होगी जिसके केवल बहुत ही ज्यादा अनाज के भंडार करने के मकसद से बनाया गया हो. फिलहाल पटना का गोलघर इसी के लिए याद किया जाता है.
जीहां आज भले ही पटना के गोलघर को अनाज रखने की जगह के तौर पर इस्तेमाल ना किया जाता हो, लेकिन इसे इसी मकसद से बनाया गया था. 1770 में जब अंग्रेज भारत में अपने पैर फैला रहे थे, तब बिहार और उसके आसपास के इलाकों में पड़े भयंकर सूखे के बाद अनाज भंडारम के लिए एक मजबूत इमारत के निर्माण की जरूरत महसूस की गई थी
पटना का गोलघर 250 साल पुरानी ऐतिहासिक इमारत है. (तस्वीर: Wikimedia Commons)
उस दौर में बंगाल के तत्कालीन गवर्नर जनरल वारन हेस्टिंग ने गोलघर के निर्माण की योजना बनाई थी. इसके बाद ब्रिटिश इंजीनियर कैप्टन जान गास्टिन ने 20 जनवरी 1784 को पटान में गोल के निर्माण की शुरुआत कराई थी. इसके बाद 20 जुलाई 1786 में इसे बना कर पूरा कर लिया गया था.
गोलघर की भंडारण क्षमता करीब एक लाख 40 हजार टन अनाज रखने की है. आज भले ही यह इमारत जर्जर हो चुकी है और इसकी मरम्मत भी की जा रही है, लेकिन यह काफी आकर्षक इमारत के तौर पर देखी जाती है. स्तूप के आकार की इस इमारत में 145 सीढ़ियां हैं जो इसके शीर्ष पर पहुंचा जा सकता है, जहां से पूरा पटना शहर दिखाई देता है.
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आज इसके आसपास की जगह को बागीचे आति से सजा दिया गया है और यहां का लेजर शो भी काफी मशहूर है. इमारत की बात करें तो इसमें एक दोष बताया जाता है. इसके दरवाजे अंदर की तरफ ही खुलते हैं और अगर इसे अनाज से पूरा भर दिया गया तो दरवाजे फिर खुल नहीं पाएंगे. यही वजह है कि इसे आजतक पूरा भरा भी नहीं गया है.
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FIRST PUBLISHED : June 10, 2024, 20:32 IST