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खेत में सिंचाई की सुविधा है कम… तो इन 3 फसलों में दम, किसान कमा सकेंगे एक एकड़ में दोगुना मुनाफा

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पलामू: खरीफ फसलों का सीजन शुरू होने वाला है. वहीं, देश में मानसून की भी एंट्री हो चुकी है. ऐसे में किसान अपनी-अपनी तैयारी में लग गए हैं, मगर जिन किसानों के पास अपनी सिंचाई की सुविधा नहीं है और वो धान की खेती कर पाने में असमर्थ हैं तो ऐस किसान खरीफ के सीजन में कुछ अन्य फसल उगाकर मोटा मुनाफा कमा सकते हैं.

दरअसल, पूरे झारखंड में केवल 10% जमीन पर ही किसान खेती करते हैं, जिसमें 85% तक खरीफ सीजन में खेती वर्षा जल से ही होती है. अगर पलामू की बात करें तो ये इलाका रेन शैडो जोन में आता है, जिस कारण यहां कम वर्षा होती है. ऐसे में समुचित वर्षा नहीं होने से किसानों की फसल को बेहद नुकसान होता है. लगभग हर साल यहां के किसानों को सूखा की मार झेलना पड़ता है. ऐसे में किसान कुछ खास फसलों पर निर्भर रह सकते हैं.

कम वर्षा वाले स्थानों के लिए फसल
क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र चियांकी पलामू के कृषि वैज्ञानिक डॉ. अखिलेश शाह ने Local 18 को बताया कि किसान अरहर, उड़द और तिल की खेती कर सकते हैं. ये ऐसी फसल हैं जो कम वर्षा में भी तैयार होती हैं. इन फसलों के लिए खेत में जल निकासी की सुविधा होनी चाहिए. इन चीजों की खेती अगर किसान कर रहे हैं तो अंकुरण होने के 15 से 20 दिन बाद भी वर्षा होती है तो फसल को कोई नुकसान नहीं होगा. ये फसल जमीन की नमी से खुद को बचा लेती हैं.

एक एकड़ में होगा दोगुना मुनाफा
अरहर की खेती के लिए किसान 10 साल से पुराने बीज का चयन बिलकुल न करें. इसके प्रभेद के रूप में आईपीए 203, बिरसा अरहर 2 का चयन कर सकते हैं. ये फसल 220 दिन में तैयार हो जाती है, जिसकी बीज दर 18 किलो प्रति हेक्टेयर है. इसके लिए पौधे से पौधे की दूरी 25 सेंटीमीटर और लाइन से लाइन की दूरी 60 सेंटीमीटर होनी चाहिए. इसे अगर किसान वैज्ञानिक विधि से करें तो लागत 20 से 22 हजार प्रति हेक्टेयर आती है और मुनाफा 60 से 70 हजार प्रति हेक्टेयर मिलता है.

उड़द की खेती भी कमाल
आगे बताया कि उरद की खेती में भी किसानों को कम लागत और बंपर मुनाफा मिलता है. उड़द की खेती के लिए किसान बिरसा उड़द 2 का चयन कर सकते हैं, जो 70 दिन में तैयार होने वाली फसल है. इसका बीज दर 7 किलो प्रति हेक्टेयर है, जिसमें पौधे से पौधे की दूरी 15 सेंटीमीटर और लाइन से लाइन की दूरी 30 सेंटीमीटर कर सकते हैं. इसका उत्पादन लगभग 6 क्विंटल तक होता है. इसकी लागत लगभग 15 से 20 हजार प्रति हेक्टेयर और मुनाफा 60 से 70 हजार प्रति हेक्टेयर है. इसके लगाने के एक और लाभ है. अगर किसान लगातार तीन से चार साल तक इसकी खेती करते हैं तो खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है और अन्य फसलें भी मुनाफा देती हैं.

तिल खेती में भी डबल मुनाफा
विशेषज्ञ ने बताया कि जिन किसानों के पास सिंचाई की सुविधा नहीं है वे तिलहन में तिल की भी खेती कर सकते हैं, जो कम वर्षा में भी अच्छा उत्पादन देती है. इसकी खेती करने के लिए 20 किलो बीज प्रति हेक्टेयर की दर से लगता है. किसान इसकी खेती करने के लिए कांके व्हाइट और बाजार में मिलने वाले हाइब्रिड प्रभेद का चयन कर सकते हैं. जिसे लगाने के लिए पौधे से पौधे की दूरी 15 सेंटीमीटर और लाइन से लाइन की दूरी 30 सेंटीमीटर होनी चाहिए. फसल 100 दिन में तैयार होती है. इसकी लागत लगभग 18 से 20 हजार प्रति एकड़ आती है. वहीं मुनाफा 50 से 60 हजार तक मिलता है.

Tags: Agriculture, Local18, Palamu news



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