छपरा : यह कहानी छपरा जिले के रिविलगंज प्रखंड अंतर्गत दीलिया रहीमपुर निवासी अशोक कुमार की है, जो एक गोताखोर के रूप में जाने जाते हैं. अशोक कुमार ने महज 10 साल की उम्र से गंगा में डूबते लोगों को बचाने का कार्य शुरू किया और अब तक 300 से अधिक लोगों की जान बचा चुके हैं. उनके इस अद्वितीय कार्य को देखकर जिला प्रशासन ने उन्हें प्रशिक्षण दिलवाया, जिसमें जिले के और युवा भी शामिल हुए. अब प्रशासन उन्हें गंगा स्नान या बाढ़ के समय ड्यूटी पर लगाता है, जहां हर साल वे कई दर्जन लोगों की जान बचाते हैं.
अशोक कुमार ने बताया कि उनका घर सरयुग नदी के तट पर है, जहां उनके पिताजी ने उन्हें तैरना सिखाया. 10 साल की उम्र में ही उन्होंने एक डूबे हुए बच्चे का शव निकाला और तब से लेकर आज तक 35 साल से लगातार लोगों की जान बचाने का काम कर रहे हैं.
हालांकि, इतने वर्षों से जिला प्रशासन अशोक कुमार और उनकी टीम से काम तो ले रही है, लेकिन उन्हें समय पर भुगतान नहीं किया जा रहा है और ना ही अस्थाई नौकरी दी जा रही है. इसके चलते अशोक कुमार और उनकी टीम के सदस्य बहुत दुखी हैं. वे मजदूरी करके किसी तरह अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन उनकी मजबूरी को नहीं समझ रहा है.
अशोक कुमार ने बताया कि गंगा तट पर घर होने के कारण उनके घर में अक्सर पानी घुस जाता है, जिससे उन्हें और भी परेशानी का सामना करना पड़ता है. बावजूद इसके, वे खुद कष्ट में रहकर भी लोगों की जान बचाने का कार्य जारी रखते हैं.
अशोक कुमार की यह कहानी न केवल प्रेरणादायक है बल्कि समाज के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश भी देती है कि कैसे कठिन परिस्थितियों में भी मानवता की सेवा की जा सकती है. उनके प्रयासों की सराहना करते हुए, प्रशासन को भी उनके काम का सही मूल्यांकन करना चाहिए और उन्हें उचित सम्मान और सहायता प्रदान करनी चाहिए.
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FIRST PUBLISHED : July 31, 2024, 23:53 IST