सरकारी स्कूलों में बच्चों के ड्रपआउट 12% से घटकर 1% प्रतिशत- शिक्षा मंत्री सुनील कुमार. प्रतिदिन एक करोड़ 10 लाख से ज्यादा बच्चों को मध्याह्न भोजन की व्यवस्था कर रही सरकार. राज्यभर में 75 हजार से अधिक सरकारी विद्यालयों में 1.80 करोड़ छात्र-छात्राएं हैं अध्ययनरत. बिहार में महिलाओं की साक्षरता दर अब 34 प्रतिशत से बढ़कर 74 प्रतिशत से अधिक हो गयी.
गोपालगंज. बिहार सरकार के शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने राज्य के शिक्षा क्षेत्र में सुधार को लेकर एक बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए राज्य सरकार सजग है और लगातार कदम उठा रही है. उन्होंने कहा कि राज्य में शिक्षा का स्तर बढ़ाने के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा. मंत्री ने विशेष रूप से शिक्षकों को ट्रांसफर पॉलिसी के तहत अपने दायित्वों को पूरी जिम्मेदारी से निभाने की अपील की. शिक्षा मंत्री ने यह बड़ी जानकारी साझा करते हुए बताया कि बिहार में पहले स्कूल ड्रॉपआउट दर 12 प्रतिशत से भी अधिक थी, लेकिन अब यह घटकर एक प्रतिशत से कम हो गयी है. उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षित बिहार, विकसित बिहार की दिशा में यही सबसे बड़ा योगदान होगा.
मंत्री सुनील कुमार ने बताया कि बिहार में शिक्षा के क्षेत्र में कई चुनौतियां हैं, जिनका सामना राज्य को करना पड़ रहा है. बिहार में कुल 75,000 सरकारी विद्यालय हैं, जो कक्षा एक से लेकर 12वीं तक फैले हुए हैं. इनमें लगभग 1.80 करोड़ छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं. सरकार इन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए कई स्तरों पर काम कर रही है. उन्होंने यह भी बताया कि बिहार सरकार प्रतिदिन एक करोड़ 10 लाख से ज्यादा बच्चों को मध्याह्न भोजन की व्यवस्था करती है, जिससे बच्चों के पोषण स्तर में सुधार हो रहा है और उनका स्कूल में नियमित रूप से उपस्थित होना सुनिश्चित होता है.
शिक्षा मंत्री ने राज्य के शिक्षा क्षेत्र में सुधार के लिए किए जा रहे प्रयासों की विस्तृत जानकारी दी. उनके अनुसार, ”शिक्षित बिहार, विकसित बिहार” का सपना अब साकार हो रहा है. सरकार की ओर से किए जा रहे कदमों से शिक्षा के स्तर में लगातार सुधार हो रहा है, और बिहार के बच्चे एक उज्जवल भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं. यह प्रयास न केवल शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए हैं, बल्कि समाज के हर वर्ग को सशक्त बनाने के लिए भी हैं.
बजट में बढ़ोतरी और इसके असर
मंत्री ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में शिक्षा के लिए बजट में हुई बढ़ोतरी की बात की. 2005 में राज्य का वार्षिक बजट 25,000 करोड़ था, जो आज बढ़कर 70,000 करोड़ से अधिक हो गया है. इस बढ़ी हुई राशि से राज्य में शिक्षा के स्तर में सकारात्मक बदलाव आ रहा है. सुनील कुमार ने मुख्यमंत्री के सपने ”शिक्षित बिहार, विकसित बिहार” को लेकर कहा कि यह सपना अब वास्तविकता की ओर बढ़ रहा है, और शिक्षा के क्षेत्र में सरकारी प्रयासों के चलते राज्य के विकास की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है.
महिलाओं की साक्षरता दर में अभूतपूर्व वृद्धि
मंत्री ने महिलाओं की साक्षरता दर में हुए सुधार पर भी बात की. उन्होंने बताया कि 2003 में बिहार में महिलाओं की साक्षरता दर महज 34 प्रतिशत थी, जो अब 2023 में बढ़कर 74 प्रतिशत से अधिक हो गयी है. यह आंकड़ा राज्य में महिलाओं के लिए शिक्षा के अवसरों में आयी बढ़ोतरी को दर्शाता है. बिहार सरकार ने इस दिशा में कई महत्वपूर्ण योजनाओं की शुरुआत की है, जिनसे महिलाओं को शिक्षा प्राप्त करने के अवसर मिल रहे हैं.
स्कूल ड्रॉपआउट दर में आई है गिरावट
सुनील कुमार ने यह भी बताया कि बिहार में पहले स्कूल ड्रॉपआउट दर 12 प्रतिशत से भी अधिक थी, लेकिन अब यह घटकर एक प्रतिशत से कम हो गयी है. मंत्री ने इस बदलाव के पीछे सरकारी योजनाओं के सही क्रियान्वयन और शिक्षा के प्रति समाज में बढ़ती जागरूकता बताया. उनका मानना है कि इस दिशा में और भी सुधार की आवश्यकता है, ताकि और अधिक बच्चे स्कूल छोड़ने के बजाय शिक्षा प्राप्त करें.
क्वालिटी एजुकेशन की दिशा में सख्त कदम
मंत्री ने राज्य में क्वालिटी एजुकेशन पर जोर दिया और कहा कि छात्रों को पढ़ाई के प्रति सक्रिय और उत्साहित बनाने के लिए नई शिक्षा पद्धतियों को लागू किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि शिक्षक वर्ग को ट्रांसफर पॉलिसी को स्वीकार करते हुए अपनी जिम्मेदारियों को पूरी इमानदारी से निभाना होगा. मंत्री ने यह भी कहा कि बिहार के भविष्य को संवारने में शिक्षकों का महत्वपूर्ण योगदान है और यह सुनिश्चित करना होगा कि वे बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करें.
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FIRST PUBLISHED : November 19, 2024, 12:23 IST