बेगूसराय : प्रदेश के ग्रामीण इलाकों की अर्थव्यवस्था महिलाओं के हाथों में दिखने लगी है. यहां महिलाएं जीविका समूह से जुड़कर मिलने वाले कर्ज से न सिर्फ अपनी किस्मत बदल बदल रहे हैं. बल्कि गांव में अपनी एक अलग पहचान भी स्थापित कर पा रहीं हैं. ग्रामीण इलाकों से आ रही इन महिलाओं के बदलाव की कहानियों में खासकर खेती किसानी का योगदान देखने को मिल रहा है. आज हम जिस महिला की चर्चा कर रहे हैं , इन्होंने महज चार साल पहले ही जीविका सीएम के कहने पर जुड़ी थीं और बैठक में कमाई का जरिया के तौर पर सब्जी की खेती का आईडिया प्राप्त कर खेती शुरू कर दी. धीरे धीरे बेमौसमी सब्जियों के साथ ही सालोभर भर हरी सब्जी का उत्पादन कर रहे हैं.नतीजतन उनकी इस सफलता ने इन्हें गांव की धाकड़ महिला किसान के रूप में पहचान दिला दी, आप भी मिलिए इनसे…
कर्ज लेकर शुरू की थी हरी सब्जी की खेती
बेगूसराय जिले के खोदावंदपुर प्रखंड के मेघौल पंचायत अंतर्गत मलमल्ला गांव की विभा देवी ने बताया चार साल पहले खोदावंदपुर प्रखंड से जीविका में सीएम के कहने पर जुड़ी थीं, फिर धीरे धीरे तकरीबन 2 लाख रुपए तक का कर्ज प्राप्त करने के बाद खेती को आगे बढ़ाया. शुरुआत में 15 कट्ठा में ही सब्जी की खेती अपने खेतों से शुरू किया था. कमाई बढ़ते गया फिर खेती के रकबा को भी आगे बढ़ाती गईं. अभी चार से पांच बीघा में 10 से ज्यादा प्रकार की सब्जी की खेती कर रही हैं. एक खेत में 7 से 8 प्रकार का सब्जी का उत्पादन ले रहें हैं. सभी हरी सब्जी में सबसे ज्यादा कमाई परवल की खेती से होती है.
सब्जी उत्पादन कर खरीद रहे हैं जमीन
विभा देवी ने आगे बताया जब हम सब्जी की खेती शुरू किए थे तो मेरे पास 15 कट्ठा जमीन थी, सब्जी की खेती से होने वाली कमाई से हमने घर बनाया, 4 साल में ही एक बीघा जमीन गांव में खरीद ली. कमाई के गणित पर इन्होंने बताया अब तो रोजाना 3 से 5 हजार से ज्यादा का सब्जी उत्पादन कर बाजार में भेज देते हैं.
FIRST PUBLISHED : December 22, 2024, 21:15 IST