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झारखंड की बेटी को मिला UK पेटेंट, स्वीटी की सफलता से गदगद है फैमिली

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Agency:News18 Jharkhand

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Jharkhand News: स्वीटी कुमारी ने बताया कि आने वाली पीढ़ियों के लिए किताबों और ग्रंथों को सुरक्षित करना अति आवश्यक है. ताकि पुस्तकें, पांडुलिपियां और अन्य ग्रंथ आने वाली पीढ़ियां पढ़ सके. ऐसे में उनका डिवाइस लाइब्…और पढ़ें

स्वीटी ने अपने डिवाइस के लिए यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom) का पेटेंट प्राप्त कर अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की है.

हाइलाइट्स

  • पुस्तकालय सामग्री के संरक्षण और संरक्षण में एक महत्वपूर्ण प्रगति उपकरण को “बिब्लियो कवच” के नाम से जाना जाएगा

हजारीबाग. झारखंड की बेटी ने एक बार फिर से अपनी प्रतिभा के बल पर इंटरनेशनल लेवल पर अपनी खास पहचान बनाई है. दरअसल झारखंड के हजारीबाग जिले में स्थित डीएवी पब्लिक स्कूल की लाइब्रेरियन स्वीटी कुमारी ने पुस्तक संरक्षण के लिए डिजाइन किए गए अपने नए डिवाइस के लिए यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom) का पेटेंट प्राप्त कर अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की है. यह डिवाइस लाइब्रेरी में किताबों को सुरक्षित रखने में बड़ी भूमिका निभा सकता है.

इस बारे में स्वीटी कुमारी ने बताया कि आने वाली पीढ़ियों के लिए किताबों और ग्रंथों को सुरक्षित करना अति आवश्यक है. ताकि पुस्तकें, पांडुलिपियां और अन्य ग्रंथ आने वाली पीढ़ियां पढ़ सके. ऐसे में उनका डिवाइस लाइब्रेरी के अंदर किताबों को सुरक्षित रखने में काफी सहायक होगा. उन्होंने बताया कि समय के साथ बदलने तापमान, हवा, धुल और कारणों की वजह से किताबों को बचाए रखने में मुश्किल होती है. लेकिन, अब इस डिवाइस से किताबों को कई सालों तक सुरक्षित रखा जा सकेगा.

जानें कैसे काम करेगा यह डिवाइस?

स्वीटी कुमारी ने बताया कि उनके डिवाइस का नाम बिब्लियो कवच (Biblio Kavach) है. यह डिवाइस लाइब्रेरी के अंदर किताबों को सुरक्षित रखने में अहम भूमिका निभाएगा. इसके अंदर कई सेंसर लगे हैं, जो कि नमी, तापमान, प्रकाश की तीव्रता, धूल के स्तर, पीएच और वाष्पशील पदार्थों की उपस्थिति जैसे महत्वपूर्ण मापदंडों को मापता है. इसके बाद यह तुरंत लाइब्रेरी में मौजूद लोगों को इसकी जानकारी अपडेट करता है, ताकि किताबों को संरक्षित किया जा सके.

स्वीटी ने इन लोगों को दिया धन्यवाद 

झारखंड के कोडरमा की रहने वाली स्वीटी कुमारी ने कहा कि पुस्तकों की सुरक्षा न केवल हमारी एक जिम्मेदारी है बल्कि हमारी सांस्कृतिक परंपराओं को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने का एक अवसर भी है. मुझे गर्व है कि इस पेटेंट ने मेरे शोध को वैश्विक स्तर पर मान्यता दी है. स्वीटी ने बताया कि इस डिवाइस को बनाने में डीएवी पब्लिक स्कूल, हजारीबाग के प्रिंसिपल डॉ. रजनीश कुमार, उनके माता-पिता, अनिकेत इंगोले समेत उनके दोस्तों ने उनकी खूब सहायता की है.  वहीं स्वीटी की सफलता से उनका पूरा परिवार काफी खुश है.

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