चिकित्साकर्मियों के वेतन मद में फर्जी बैंक खाते बनाकर डाली जाती थी सैलरी. जिले में कभी पदस्थापित नहीं रहे चिकित्साकर्मी को वेतन का मिल रहा था लाभ.
जावेद खान/रामगढ. झारखंड के रामगढ़ जिले के स्वास्थ्य विभाग में हुए करोड़ों रुपए घोटाले की जांच अब सीआईडी करेगी. इसे लेकर रामगढ़ के डीसी ने सीआईडी को पत्र लिखा है. बता दें कि इससे पूर्व इस घोटाले की जांच रामगढ़ एसडीएम के नेतृत्व में बनी पांच सदस्य टीम कर रही थी. लगभग एक महीने तक चली जांच के बाद इस टीम ने अब तक लगभग 3 करोड़ 90 लाख रुपए के घोटाले का पता लगाया है. घोटाले की रकम आगे जांच में बढ़ भी सकती है.
बताया गया कि एनआरएचएम के तहत रामगढ़ जिले के स्वास्थ्य विभाग को मिले पैसे का घोटाला जिले में कभी पदस्थापित नहीं रहे डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी के वेतन भुगतान और टीडीएस मद में किया गया है. साथ ही सदर अस्पताल में इक्विपमेंट और और दूसरे मद में फर्जी वाउचर जमा करके भी घोटाले को अंजाम दिया गया है. इस मामले में स्वास्थ्य विभाग का अनुच्छेद भी अमजद हुसैन को पहले ही गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है.
रामगढ़ डीसी चंदन कुमार ने बताया कि अप्रैल 2021 से अब तक की जांच में तीन करोड़ 90 लाख रुपए घोटाले की बात सामने आ आई है. घोटाले की राशि और बढ़ाने की संभावना जताई जा रही है इस कारण ही इस मामले की जांच के लिए सीआईडी को लिखा गया है. इस मामले में रामगढ़ तत्कालीन सिविल सर्जन और वर्तमान में रांची जिला में सिविल सर्जन के पद पर कार्यरत डॉ प्रभात कुमार और जिला लेखा पदाधिकारी हिना अग्रवाल भी जांच के दायरे में हैं.
मालूम हो कि स्वास्थ्य विभाग में एनआरएचएम मद से आई रकम का घोटाला अनुसेवी अमजद हुसैन के संचालित बैंक खातों के माध्यम से किया गया है. इस घोटाले की सबसे दिलचस्प बात है कि इसमें से 5 में से चार डॉक्टर जिले में कभी पद स्थापित नहीं रहे हैं. उनके नाम पर भी यहां से वेतन बनाकर अमजद हुसैन और उसकी पत्नी के बैंक खाते में भेजे जा रहे थे. इस बात का खुलासा तब हुआ जब महाराष्ट्र के डॉ राहुल उम्रे का टीडीएस कटने लगा. बता दें कि वे कभी रामगढ़ में पदस्थापित नहीं रहे थे. इसके बाद उन्होंने रामगढ़ जिला प्रशासन से संपर्क किया और यह पूरा घोटाला सामने आ पाया.
FIRST PUBLISHED : September 28, 2024, 15:25 IST