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कुल्लू की रहने वाली निशा ठाकुर पेशे से एक नर्स हैं. वह झुग्गी- झोपड़ी में रहने वाले बच्चों को मुफ्त में शिक्षा प्रदान कर रही हैं. काम और पढ़ाई के बावजूद निशा हर दिन बच्चों को पढ़ाने का समय निकालती हैं. उनका समर्पण और ह्यूमन…और पढ़ें
कुल्लू: झुग्गी- झोंपड़ी में रहने वाले कई बच्चे शिक्षा के अधिकार से वंचित हैं. कई बच्चे सरकारी स्कूलों में तो जाते हैं, लेकिन कई बच्चे आज भी ऐसे हैं जो अपने घर के हालातों या अपनी सेहत के चलते स्कूल तक नहीं पहुंच सकते. ऐसे ही बच्चों को शिक्षा का महत्व सिखाने और झुग्गियों में आकर ही शिक्षित करने का काम कुल्लू की निशा ठाकुर कर रही हैं.
निशा ठाकुर पेशे से नर्स हैं और गांधीनगर स्थित इंटरनेशनल मेडिटेशन इंस्टीट्यूट में पार्ट टाइम काम करती हैं. साथ ही निशा अपने आगे के एग्जाम्स की तैयारी भी कर रही हैं. अपने काम और पढ़ाई के बावजूद, निशा हर दिन समय निकाल कर इन झुग्गी में रहने वाले बच्चों को पढ़ाने आती हैं. निशा बताती हैं कि सेवा की भावना उन में नर्सिंग प्रोफेशन में रह कर आई और इसी भावना के चलते वे इन बच्चों के साथ समय बिताने और इन्हें पढ़ाने आती हैं. पिछले 3 साल से हर रोज निशा सरवरी की इन झुग्गियों में बच्चों को पढ़ाने आ रही हैं.
खुले आसमान के नीचे लगती है क्लास
निशा ने बताया कि झुग्गी में रहने वाले इन बच्चों की क्लास खुले आसमान के नीचे ही लगती है. इनकी क्लास के लिए कई जगहें बदली जा चुकी हैं. शुरुआती दौर में 40 बच्चे उनके पास पढ़ने आते थे, लेकिन अब धीरे-धीरे केवल 18 बच्चे ही हर दिन पढ़ने आ रहे हैं. इनमें कई बच्चे वो भी हैं जो स्कूल नहीं जाते और यही क्लास में अक्षर लिखना सीख रहे हैं.
ह्यूमन वेलफेयर सोसाइटी की मदद
कुल्लू की ह्यूमन वेलफेयर सोसाइटी द्वारा इन बच्चों को पढ़ने के लिए किताबें, कॉपियां और कपड़े दिए जाते हैं. यह सहायता इन बच्चों को पढ़ने और सीखने की एक उम्मीद देती है. नई कॉपियों और पेंसिलों के मिलने पर ये बच्चे शिक्षा प्राप्त करने के लिए और भी उत्साहित रहते हैं.
1 घंटे प्रतिदिन बच्चों को पढ़ाती हैं निशा
निशा ठाकुर कहती हैं कि उन्होंने समर्पण से प्रेरित होकर बच्चों को पढ़ाना शुरू किया. निशा हर दिन अपने 24 घंटों में से 1 घंटा इन बच्चों को पढ़ाने में बिताती हैं. वे अन्य युवाओं से भी आग्रह करती हैं कि अगर हम सभी अपनी जिंदगी में अपने कामों के अलावा थोड़ा समय इन बच्चों या किसी भी सामाजिक कार्य के लिए लगाएं, तो शायद हमारे इस प्रयास से किसी की जिंदगी बेहतर हो सकती है. निशा का मकसद है कि ये बच्चे शिक्षा के महत्व को समझें और झुग्गी से बाहर की दुनिया को भी एक अलग नजरिए से देखने और समझने की कोशिश करें.