विकास झा/फरीदाबाद: बल्लभगढ़ की अनाज मंडी में पिछले 20 दिनों से किसानों को डीएपी (डायमोनियम फॉस्फेट) खाद की कमी के कारण गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. बुवाई का यह समय किसानों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है, परंतु डीएपी की किल्लत के चलते उनकी फसल बुवाई पर असर पड़ रहा है. भारी भीड़ के बीच लंबी कतारों में घंटों खड़े रहने के बावजूद किसानों को केवल सीमित मात्रा में ही डीएपी मिल पा रही है, जिससे किसानों की परेशानी और बढ़ गई है.
लंबी कतारों में घंटों इंतजार के बावजूद मामूली आपूर्ति
बल्लभगढ़ अनाज मंडी में किसानों का कहना है कि डीएपी खाद की आपूर्ति में भारी कमी है. किसान नरेश कुमार ने बताया कि उन्हें एक आधार कार्ड पर केवल दो कट्टे ही मिलते हैं, और इसके लिए भी उन्हें सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक लंबी लाइनों में खड़े रहना पड़ता है. उन्होंने बताया कि अक्सर दोपहर 2 बजे के बाद ही मंडी में खाद खत्म होने की घोषणा कर दी जाती है, जिससे किसान खाली हाथ लौटने को मजबूर हो जाते हैं. हर दिन, इस अनिश्चितता से जूझते किसान परेशान हैं, क्योंकि खाद की कमी का सीधा असर उनकी बुवाई प्रक्रिया पर पड़ रहा है.
प्राइवेट बाजार में ऊंचे दामों और काला बाजारी से किसानों पर आर्थिक बोझ
डीएपी की कमी से किसान सरकारी आपूर्ति पर निर्भर हैं, लेकिन इसकी सीमित उपलब्धता के कारण कुछ किसान प्राइवेट मार्केट का सहारा ले रहे हैं. यहां पर डीएपी के दाम आसमान छू रहे हैं. जहां सरकारी दरों पर खाद मिलना मुश्किल हो रहा है, वहीं प्राइवेट विक्रेता डीएपी के एक कट्टे के लिए 1800 से 1900 रुपये तक वसूल रहे हैं. इस काला बाजारी का सीधा असर किसानों की आर्थिक स्थिति पर पड़ रहा है, क्योंकि ऊंची कीमतों पर खाद खरीदना उनकी जेब पर भारी पड़ रहा है.
किसानों के लिए वर्षों से जारी संकट
नरेश कुमार के अनुसार, यह समस्या केवल इस साल की नहीं है, बल्कि पिछले तीन-चार सालों से बुवाई के इस समय में डीएपी की कमी होती रही है. प्रशासन द्वारा समय पर खाद की आपूर्ति सुनिश्चित नहीं की जाती, जिससे किसान हर साल इस परेशानी से जूझते हैं. किसान अब इस बात को लेकर भी चिंतित हैं कि आने वाले दिनों में यूरिया की कमी भी हो सकती है, जो उनकी समस्याओं को और अधिक बढ़ा सकता है.
डीएपी की कमी से फसल उत्पादन पर संभावित असर
डीएपी की कमी का सीधा असर फसल की पैदावार पर पड़ सकता है. समय पर खाद नहीं मिलने से फसलों की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों पर बुरा असर पड़ता है, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ सकता है. नरेश कुमार ने चिंता जताई कि डीएपी की अनुपलब्धता के कारण उनकी बुवाई प्रक्रिया बाधित हो रही है, जो कि उनकी खेती की आय का प्रमुख स्रोत है. बुवाई में देरी से फसल का उत्पादन समय पर नहीं हो पाएगा, जिससे किसानों की आय में गिरावट की संभावना बढ़ जाती है.
प्रशासन से मांग: खाद की आपूर्ति सुनिश्चित की जाए
बल्लभगढ़ के किसानों की डीएपी खाद की किल्लत को देखते हुए, प्रशासन को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है. खाद की सुचारु आपूर्ति से किसानों को राहत मिल सकेगी और उनकी फसलें समय पर उगाई जा सकेंगी. प्रशासन को चाहिए कि इस किल्लत का समाधान जल्द से जल्द निकाले, ताकि किसानों की मेहनत बेकार न जाए और वे समय पर अपनी फसल की देखभाल कर सकें.
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FIRST PUBLISHED : November 4, 2024, 12:34 IST