बीजिंग: भारत और चीन के रिश्ते बीतों पर जमी बर्फ अब बिघलती दिख रही है. दोनों देशों के बीच रिश्ते बीते कुछ सालों में कैसे रहे हैं, यह जगजाहिर है. एलएसी पर सीमा विवाद से तल्खी ऐसी बढ़ी कि गलवान कांड हो गया. फिर उस गलवान कांड ने भारत और चीन के रिश्तों को और खराब कर दिया. पर अब दोनों देश दुश्मनी भुलाकर दोस्ती की राह पर वापस लौटते दिख रहे हैं. एशिया के दो शक्तिशाली देश अब आपस में मिल बैठ और बातचीत कर शांति की राह तलाश रहे हैं. अब चीन के सुर बदल चुके हैं. वह पहले की तरह गीदड़भभकी नहीं देता. वह दोस्ती का हाथ बढ़ा रहा है. सीमा विवाद सुलझाने के लिए भारत के साथ कंधे में कंधा मिलाकर चल रहा है. यही वजह है कि जब मंगलवार को अजित डोभाल बीजिंग पहुंचे तो उनके स्वागत में चीन ने रेड कार्पेट बिछा दिया है.
दरअसल, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल बीजिंग में हैं. आज यानी बुधवार को भारत-चीन विशेष प्रतिनिधि (एसआर) वार्ता है. अजीत डोभाल अपने चीनी समकक्ष और विदेश मंत्री वांग यी के साथ विशेष प्रतिनिधियों (एसआर) की 23वें दौर की वार्ता करेंगे. इस दौरान पूर्वी लद्दाख से सैनिकों की वापसी और गश्त को लेकर दोनों देशों के बीच 21 अक्टूबर को हुए समझौते के बाद द्विपक्षीय संबंधों को बहाल करने के लिए कई मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है. इस वार्ता का उद्देश्य पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध के कारण चार साल से अधिक समय तक प्रभावित रहे द्विपक्षीय संबंधों को बहाल करना है. साथ ही दोनों देशों के बीच आई खटास को दूर करना है.
बदले-बदले से नजर आ रहा चीन
बीते कुछ समय से चीन के रवैये में काफी बदलाव आया है. वह शांति बहाल करने को लेकर काफी पॉजिटिव है. वह भी भारत से पंगा लेना या उलझना नहीं चाह रहा है. यही वजह है कि पहले पीएम मोदी से जिनपिंग ने रूस में मुलाकात की और शांति के लिए तैयार दिखे. अब जब अजीत डोभाल बीजिंग पहुंचे हैं तो उनके स्वागत में चीन गर्मजोशी से खड़ा है. इतना ही नहीं, चीन अब भारत के हिताों की रक्षा का प्रण भी ले रहा है. अजीत डोभाल और वांग यी की विशेष बैठक से पहले चीनी विदेश मंत्रालय ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. एक सवाल के जवाब में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा कि चीन द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर करने और मतभेदों को दूर करने के लिए भारत संग काम करने को तैयार है. चीन एक-दूसरे के हितों और चिंताओं का सम्मान करेगा और बातचीत-संवाद के माध्यम से आपसी मतभेदों को ईमानदारी से दूर करेगा.
कहीं डोनाल्ड ट्रंप का असर तो नहीं?
कुल मिलाकर चीन कहना चाह रहा है कि वह भारत संग दोस्ती कायम करना चाहता है. चीन अब भारत के सामने दोस्ती का हाथ बढ़ा रहा है. अब सवाल है कि आखिर चीन का अचानक यह हृदय परिवर्तन क्यों? क्या डोनाल्ड ट्रंप तो इसकी वजह नहीं? जानकारों की मानें तो डोनाल्ड ट्रंप चीन के कट्टर आलोचक रहे हैं. वह 20 जनवरी को जैसे ही राष्ट्रपति की कुर्सी पर बैठेंगे, चीन के खिलाफ एक्शन शुरू हो जाएगा. उसके ऊपर अमेरिका भारी टैरिफ लगाएगा, कुछ पाबंदियां भी. ऐसे में चीन नहीं चाहता कि वह विश्व पटल पर अमेरिका के सामने अलग-थलग पड़े. साथ ही उसे पता है कि भारत भी एक उभरता हुई महाशक्ति है. उसका बाजार बहुत बड़ा है. उससे उलझने का मतलब है कई मोर्चों पर कमजोर पड़ना. ऐसे में पश्चिमी देशों को टक्कर देने के लिए चीन को भारत और रूस जैसे देशों संग दोस्ती कायम करना उसकी मजबूरी है. यही वजह है कि अब वह भारत से अपने रिश्ते ठीक करना चाह रहा है.
मोदी-जिनपिंग ने रूस में रखी दोस्ती की नींव
दरअसल, भारत और चीन की दोस्ती की पटकथा ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान रूस में लिखी गई थी. उस वक्त पीएम मोदी और शी जिनपिंग के बीच मुलाकात हुई थी. उसी बैठक के दौरान दोनों नेता एक आम सहमति पर पहुंचे थे. चीन ने इस अहम वार्ता से पहले कहा कि वह 24 अक्टूबर को ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के इतर रूस के कजान में हुई प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की बैठक के दौरान बनी आम सहमति के आधार पर प्रतिबद्धताओं का सम्मान करने के लिए तैयार है. चीन दोनों नेताओं (मोदी और चिनफिंग) के बीच बनी अहम आम सहमति को साकार करने, वार्ता और संचार के माध्यम से आपसी विश्वास और भरोसा बढ़ाने, अपनी प्रतिबद्धताओं का सम्मान करने और द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ एवं सतत विकास की ओर फिर से ले जाने के मकसद से भारत के साथ मिलकर काम करने को तैयार है.
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FIRST PUBLISHED : December 18, 2024, 07:09 IST