पूर्णिया. बैंगन, एक स्वादिष्ट और पौष्टिक सब्जी, न सिर्फ भारतीय थाली में रंग और स्वाद लाती है, बल्कि किसानों के लिए मुनाफे का भी सौदा है. इसकी खेती साल भर की जा सकती है और बाजार में इसकी मांग भी हमेशा बनी रहती है. वहीं जानकारी देते हुए कृषि एक्सपर्ट डॉ विकाश कुमार ने बताया कि बैंगन का बेहतर उत्पादन के लिए हमें सबसे पहले उत्तम क्वालिटी का बीज चयन करना होगा.
हम इंसानो को जीवन जीने के लिए पोषक तत्वों की जरूरत पड़ती है, जिसे हमलोग खाने मे लेते है. वहीं खाने मे सबसे ज्यादा हरी सब्जियों को खाने लोगों को स्फुर्ति मिलती है. वही हरे सब्जियों मे एक बैंगन होता है. जो खाने का स्वाद अक्सर सब्जियों मे बढ़ा देता है चाहे मिक्स भेज सब्जी हो या बैंगनी या पकोड़े अलग अलग व्यंजन और अलग अलग स्वाद लोगों को खूब पसंद आती हैं.जिस कारण लोग अपने किचन मे बैंगन जरूर लाते.जिससे बाजार में भी बैंगन हमेशा महंगी कीमतों पर मिल पाता हैं.
कम समय में होगी पैदावार
चलिए हम जानते है की बैंगन की खेती अगर वृहद पैमाने पर की जाय तो बहुत फायदा देगा. हालांकि इसकी खेती के लिए सही जानकारी होना जरूरी हैं. वही पूर्णिया भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय के कृषि एक्सपर्ट डॉक्टर विकास कुमार कहते हैं की सबसे पहले अगर बैगन की खेती की बात करें तो पूरे वर्ष उत्तरी बिहार के क्षेत्र में एवं पूर्वी बिहार के आसपास आसानी से की जा सकती है.
लेकिन इसका अधिकतर डिमांड बरसात यानी खरीफ सीजन में होता है. लेकिन इस समय फसल पर कीट व्याधियों क ज्यादा प्रकोप होता है और फसल उत्पादन कम होता है. लेकिन बाजार में कीमत अच्छी रहती है और किसान अच्छे ढंग से करें तो उसे ज्यादा लाभ होगा .
बैंगन की खेती के लिए ये किस्मे देगा मुनाफा
उन्होंने कहा सबसे पहले खेती करने के लिए दो-तीन खास प्रभेदों को ध्यान में रखना होगा.लेकिन अगर बात किए करें तो पूसा पर्पल लॉन्ग, पूसा पर्पल क्लस्टर, पंत ऋतुराज, काशी अनुपम, पूसा क्रांति, काशी अनुपम, काशी लता, एवं भन्टा अनुपम सहित इसके अलावा काशी के अन्य किस्में हैं जो भारतीय अनुसंधान अनुसार दिल्ली से अनुसनशित बीज है इसका चयन कर सकते हैं . इसकी खेती आसानी से की जा सकती है . हालाँकि ये सभी किस्मों का उत्पादन 30 से 40 टन प्रति हेक्टेयर तक होगा.
ऐसे करें खेत तैयार इतना दे उर्वरक का डोज
खेत को दो-तीन गहरी जुताई कर दो-तीन पाटा चला कर उसे तैयार करें .फिर अगर उर्वरक की बात करें गोबर की खाद 20 से 25 टन प्रति हेक्टेयर की मात्रा से खेत के अंतिम तक डालें. साथ में नाइट्रोजन फास्फोरस और पोटाश की मात्रा नाइट्रोजन अगर नॉर्मल में है 60 से 80 किलो प्रति हेक्टेयर .लेकिन अगर हाइब्रिड किस्म हो तो 120 150 किलो प्रति लीटर हेक्टेयर से डालें. आधी 60 से 80 दिन पर डालें.
इसमें नाइट्रोजन की आधी मात्रा और फास्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा खेत की अंतिम तैयारी डाल दें.जबकि नाइट्रोजन की आधी 25 पहले दिन पहले जबकि दूसरी 44 दिन पर डालें. ऐसे में अगर हम दूरी की बात करें तो अभी का जो मौसम है वह बरसाती का समय पौधे से पौधे की दूरी लगभग 45 से 60 सेंटीमीटर जब से पंक्ति की पंक्ति दूरी 60 से 75 सेंटीमीटर के आसपास से रखे.
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FIRST PUBLISHED : July 21, 2024, 13:52 IST