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Himalayan Sheepdog: हिमाचल में पाए जाने वाले गद्दी कुत्तों को हिमालय क्षेत्र की पहली स्वदेशी नस्ल घोषित कर दिया गया है. यह कुत्ते भेड़-बकरी चराने में माहिर माने जाते हैं. इनकी खासियत जानने के बाद आप विदेशी कुत्तों को भूल जाएंगे…
मंडी: हिमाचल प्रदेश में पाए जाने वाले गद्दी कुत्ते को अब भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तहत राष्ट्रीय आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो करनाल ने आधिकारिक तौर पर स्वदेशी कुत्ते की नस्ल के रूप में मान्यता दे दी है. यह मान्यता हिमाचल के वैज्ञानिकों और पशुपालन विभाग के कई अधिकारियों के प्रयासों के बाद मिली है. गद्दी कुत्ता भारत में आधिकारिक रूप से पंजीकृत होने वाली चौथी स्वदेशी कुत्ते की नस्ल है और हिमालयी क्षेत्र की पहली नस्ल है.
इंसानों के काम आती है ये नस्ल
गद्दी कुत्ता बहुत कम की चीज साबित होता है. सबसे ज्यादा गद्दी समुदाय के लोगों द्वारा इसे पाला जाता है. यहां ये भेड़ पालकों के साथ ऊंचे पहाड़ों पर भेड़ बकरियों के साथ जाते हैं. उन्हें कंट्रोल करता हैं. यही नहीं, इन भेड़-बकरियों की रात की पहरेदारी भी यही कुत्ते करते हैं. ये कुत्ते जोड़ों में पाले जाते हैं.
बहुत खतरनाक भी
गद्दी नस्ल के ये कुत्ते बहुत ताकतवर होते हैं. कई बार रात को गद्दी कुत्तों की जोड़ी पहाड़ी तेंदुए को भी मुठभेड़ में मार गिराती है. तेंदुओं को भेड़-बकरियों से दूर रखती है. रात को यह कुत्ते इन भेड़ बकरियों की पहरेदारी करते हैं. खतरे की स्थिति में भेड़ पालक को जगाने के लिए अलार्म का कम भी करते हैं.
गले में लोहे का पट्टा
वहीं, भेड़ पालकों द्वारा इन कुत्तों के गले में लोहे का पट्टा भी लगाया जाता है, जिसमें नुकीले कांटे होते हैं. यह लोहे का पट्टा कुत्तों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता, लेकिन तेंदुए को यह दूर रखता है. क्योंकि, तेंदुआ कुत्तों के गले पर वार करता है और इस लोहे के पट्टे से कुत्ते उसके वार से बच जाते हैं.
एक दम से बड़े हो जाते ये कुत्ते
पहाड़ी कुत्तों की ये नस्ल शक्तिशाली है जो तेंदुए से भी भिड़ जाती है. लेकिन, बचपन से ही इन्हें ऐसी डाइट दी जाती है, जिससे यह एक दम फिट रहें. कई साल तक इनको बकरी का ताकतवर दूध और रोटी के साथ छाछ दी जाती है. जब यह बड़े हो जाते हैं तो दूध रोटी के साथ कई बार इन्हें बकरे का मांस और हड्डियां भी दी जाती हैं. हैवी डाइट की वजह से ये तेजी से बढ़ते हैं.
Mandi,Himachal Pradesh
January 15, 2025, 09:01 IST