सागर: मध्य प्रदेश में एक संत विज्ञान के लिए चुनौती बने हुए हैं. उन पर शोध भी चल रहे हैं. क्योंकि, मां नर्मदा के कृपा पात्र अवधूत दादा गुरु महाराज 47 महीनों से केवल नर्मदा जल पर निर्भर हैं. इससे बड़ी बात ये कि दादा गुरु जब चाहें, तब बिना पानी के भी कई दिन रह लेते हैं. इस दौरान न तो उनके ओजस्वी चेहरे का तेज कम होता है और न वह रुकते या थकते हैं. गर्मी के मौसम में एम्स से आए डॉक्टर ने उन पर शोध किया था.
दादा गुरु ने दावा किया कि राज्य शासन को चिकित्सा जगत के जानकारों ने जो रिपोर्ट दी, उसमें कहा कि यह अपने आप में विश्व चिकित्सा जगत में पहला अवसर है, जब नर्मदा के तट से समूचे विश्व में सनातन संस्कृति की जीवंत प्रमाणिकता मिली है. हालांकि, शोध में क्या पाया गया है, अभी इसकी रिपोर्ट सार्वजनिक तौर पर नहीं आई. रिपोर्ट आने के बाद इस रहस्य से पर्दा उठेगा कि वह कौन से तत्व हैं जो दादा गुरु को इतनी ऊर्जा बिना कुछ खाए दे रहे हैं.
नर्मदा ही सत्य है…
बता दें कि दादा गुरु महाराज पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक कर रहे हैं. वह एक कार्यक्रम में शामिल होने सागर पहुंचे थे, जहां करीब 1101 पौधों का रोपण भी किया. दादा गुरु के अनुयायी डॉ. अनिल तिवारी ने बताया कि दिल्ली एम्स ने करीब 900 पेज का शोध इन पर किया और अंत में केवल एक लाइन ही लिखी की नर्मदा ही सत्य है.
मां नर्मदा की महिमा बताई
दादा गुरु ने बताया कि दुनिया के जो ज्ञानी-ध्यानी को जब नर्मदा के तट पर बुलाया, तब 44 से 45 डिग्री तापमान था. वह कहने लगे कि इस समय देश में हीट वेव चल रही है. इससे जान को खतरा होता है. तब मैंने कहा, ‘मैं नर्मदा की वेब पर हूं. यह जीवन उनकी देन है. उन्हीं की तरंगों पर चल रहा हूं. इसके बाद रोजाना कभी 30, कभी 35, कभी 40 KM चलकर दिखाया. और उन्हें बताया कि यह मां नर्मदा का सामर्थ्य है. यह विंध्याचल की हवा है. नर्मदा के तट दुनिया के असाधारण पथ हैं, जिस पथ के कंकड़-कंकड़ को शंकर कहते हैं’.
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FIRST PUBLISHED : September 16, 2024, 21:26 IST