Last Updated:
Delhi Elections: दिल्ली चुनाव में एनसीपी ने अपने उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारने का ऐलान कर दिया है. अजित पवार की इस घोषणा से महायुति गठबंधन में शामिल बीजेपी के सामने परेशानी खड़ी हो सकती है. आखिर अजित पवार के फैसले से किसे नुकसान…और पढ़ें
हाइलाइट्स
- एनसीपी दिल्ली चुनाव अकेले लड़ेगी.
- अजित पवार के फैसले से बीजेपी को चुनौती.
- एनसीपी 25-30 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी.
नई दिल्ली. महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन में शामिल अजित पवार की अगुवाई वाली एनसीपी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में अकेले मैदान में उतरने का फैसला किया है. महायुति गठबंधन में बीजेपी, एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना के साथ एनसीपी शामिल है. हाल ही में महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन ने जबरदस्त चुनावी जीत हासिल किया है. मगर उसके बाद सरकार बनाने को लेकर जमकर खींचतान हुई. इसके बाद अजित पवार ने दिल्ली में अपने उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है. ये राष्ट्रीय राजधानी की चुनावी राजनीति में उसकी पहली शुरुआत होगी. मगर सबसे बड़ा सवाल है कि इससे सबसे ज्यादा किसको फायदा होगा.
अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में कथित तौर पर 25-30 सीटों के लिए उम्मीदवारों को अंतिम रूप दिया है. जिसमें विभिन्न मतदाता आधार वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया है. जिन प्रमुख नामों को मंजूरी दी गई है, उनमें शामिल हैं:
बुराड़ी: रतन त्यागी
बादली: मुलायम सिंह
किराड़ी: संजय सिंह प्रजापति
संगम विहार: उमर अली इदरीसी
सीलमपुर: रूही सलीम
दिल्ली में पांव जमाने की एनसीपी की कोशिश
एनसीपी के अकेले चुनाव लड़ने के कदम को दिल्ली में पैर जमाने की एक कोशिश के रूप में देखा जा रहा है. जहां आम आदमी पार्टी (AAP), कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (BJP) जैसी क्षेत्रीय और राष्ट्रीय पार्टियां हावी हैं. एनसीपी ने पहले भी महाराष्ट्र के बाहर कई राज्यों में चुनाव लड़े हैं. 2020 के दिल्ली चुनावों में भी एनसीपी ने पांच सीटों के लिए चुनाव लड़ा, लेकिन एक भी सीट नहीं जीत सकी.
दिल्ली में त्रिकोणीय मुकाबला
लेकिन जुलाई 2023 में एनसीपी के अजित पवार और शरद पवार गुट के बीच विभाजन के बाद यह पहली बार है जब वह दिल्ली चुनाव लड़ रही है. दिल्ली में 5 फरवरी को एक ही चरण में मतदान होगा. जिसमें AAP, भाजपा और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय कड़ा त्रिकोणीय मुकाबला माना जा रहा है. जिससे शीत लहर से ग्रस्त राष्ट्रीय राजधानी में राजनीतिक तापमान बढ़ जाएगा. दिल्ली में चुनाव के नतीजे 8 फरवरी को घोषित किए जाएंगे.