बुरहानपुर. भारत विभिन्न संस्कृति-सभ्याताओं का देश है. ऐसे में यहां पर्व की तरह शादियों की परंपराएं भी भिन्न-भिन्न होती हैं. इन दिनों शादियों का सीजन है तो एक से एक परंपराओं का जिक्र सामने आ रहा है. कुछ ऐसी ही अनोखी परंपरा मध्य प्रदेश बुरहानपुर में भी देखने को मिली. यहां का मराठा देशमुख समाज आज भी 500 साल पुरानी परंपरा का निर्वहन कर रहा है.
मराठा देशमुख समाज में शादी के दूसरे दिन दूल्हा-दुल्हन एक दूसरे पर खोपरा चबा कर थूकते हैं. इस रस्म को समाज के सामने किया जाता है. यह रस्म तब की जाती है जब दूल्हा-दुल्हन के चारों ओर समाज के लोग खड़े होते हैं. वहीं, सबके बीच में बैठकर दूल्हा-दुल्हन इस रस्म को पूरा करने में लगे रहते हैं. रस्म के बाद स्नान होता है. ये ऐसी रस्म जो इसके बारे में पहले सुनता है, वह हैरान रह जाता है.
बुरा नहीं मानते दुल्हा-दुल्हन
लोकल 18 की टीम ने जब शिकारपुरा क्षेत्र में रहने वाले दूल्हे आकाश देशमुख के परिवार से बात की तो उनके परिवार की मनीषा देशमुख ने बताया कि यह हमारी करीब 500 साल पुरानी परंपरा है. देशमुख मराठा समाज इस परंपरा को आज भी निभा रहा है. जब भी हमारे यहां पर शादी होती है तो दूल्हा-दुल्हन शादी के दूसरे दिन सुबह एक दूसरे पर खोपरा चबाकर थूकने की रस्म को निभाते हैं. 5-5 बार दोनों एक दूसरे पर थूकते हैं. यह रस्म समाज के सामने पूरी की जाती है. इस दौरान थूकने का दूल्हा-दुल्हन बुरा नहीं मानते हैं, न उनके परिवार के लोगों को बुरा लगता है. इसके बाद दूल्हा-दुल्हन को स्नान कराया जाता है.
इसलिए होती है ये रस्म
समाज जनों का कहना है कि यदि दूल्हे की किसी बात से दुल्हन का दिल दुखता है तो उसको बुरा नहीं लगना चाहिए और दुल्हन की किसी बात से दूल्हे का दिल दुखता है तो उसको भी बुरा नहीं लगना चाहिए. इसलिए, हम इस रस्म को परिणय सूत्र में बंधने के बाद पहले ही दिन करवाते हैं, ताकि जीवन भर दोनों में प्रेम बना रहे. दोनों एक दूसरे की बात का बुरा न मानें और किसी प्रकार का विवाद न हो, इसलिए इस रस्म को किया जाता है. यह रस्म करीब 500 साल पुरानी बताई जाती है.
FIRST PUBLISHED : December 2, 2024, 18:06 IST