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धमकियां और एफआईआर भी नहीं रोक पाईं; इस मुस्लिम महिला ने गोसेवा को बनाया मिशन!

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Agency:News18 Madhya Pradesh

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छतरपुर. जिले की रहने वाली मरजीना बानो जो मुस्लिम होने के बावजूद भी गोसेवा कर रही हैं. समाज से धमकियां भी मिलीं लेकिन उन्होंने गोसेवा करनी नहीं छोड़ी. उनका कहना है कि बच्चों से ज्यादा मैं गायों को चाहती हूं. परि…और पढ़ें

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गो सेवक मरजीना बानो 

छतरपुर. जिले की रहने वाली मरजीना बानो जो मुस्लिम हैं और गोसेवा करती हैं. इस काम के नाते उन्हें लोगों से कई बार धमकियां भी मिलीं, लेकिन उन्होंने गोसेवा करनी नहीं छोड़ी. उनका कहना है कि बच्चों से ज्यादा मैं गायों को चाहती हूं. परिवार से भी ताने सुनने को मिलते थे लेकिन मैंने गोसेवा नहीं छोड़ी. मरजीना बानो लोकल 18 से बातचीत में बताती हैं कि छत्रसाल नंदीधाम गो सेवा समिति का संचालन वे और उनके साथ महिलाएं कर रही हैं. इस गोशाला से 4 साल पहले जुड़ी थीं. पूरे देश में जब लॉकडाइन लगा था तब उन्हें गाय की सेवा करने की प्रेरणा मिली. पहले कुत्तों को खाना खिलाती थीं. गरीबों को भी राशन देती थीं. फिर यहीं से गायों की सेवा करने का विचार आया.

मरजीना बानो बताती हैं कि- “मेरा इस्लाम धर्म होने की वज़ह से गोसेवा में बहुत बाधा आई. लोग रोक-टोक भी करते हैं. धमकियां भी समाज से मिली हैं. आज भी ताने को सुनने मिलते हैं.”

लोगों ने कई बार धमकाया
मरजीना बताती हैं कि मैं अपने समाज से हटकर काम कर रही हूं, तो समाज ने इतना प्रेशर डाला है कि समाज के ही कई लोग किसी कार्यक्रम में ही नहीं बुलाते हैं. हम गायों की सेवा करते हैं तो उन्हें बहुत दिक्कत होती है. लेकिन कहते हैं कि सेवा के लिए किसी का मजहब और जात-पात नहीं देखी जाती है. सबसे बड़ा धर्म इंसानियत का है. तो हम तो इंसानियत के लिए काम करते हैं. और ऊपर वाले ने इंसान बनाया है तो इंसानियत के लिए काम करना चाहिए.

समाज ने एफआईआर भी करा दी 
आगे वे बताती हैं कि एक बार कॉलोनी में रहने वाले मेरे ही समाज के लोगों ने मुझ पर एफआईआर दर्ज करवा दी थी. दरअसल, कॉलोनी में घूमने वाली गायों को खाना खिलाती हूं तो उनका कहना था कि गाय से इतना ही प्यार है तो अपने घर के अंदर रख लो और उन्हीं के साथ रहो. कॉलोनी की सड़कों में ये गायें गंदगी करती हैं. इसलिए इस कॉलोनी को आप छोड़ दीजिए. ऐसी धमकियां मिलती रही हैं. हालांकि आज भी धमकियां और ताने सुनने को मिल जाते हैं.

परिवार भी करने लगा सहयोग 
मरजीना बताती हैं कि परिवार के लोग शुरुआत में बोलते थे कि आप कैसा काम करती हो. गायों की सेवा करने से हमारा समाज चिढ़ेगा. लेकिन फिर धीरे-धीरे परिवार के लोग शांत हो गए. अब परिवार के सभी लोग सहयोग करते हैं. अब पूरा परिवार गायों की सेवा करता है.

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