पंचायतों में भ्रष्टाचार की शिकायतों पर नीतीश सरकार का बड़ा फैसला. मुखिया, पंचायत सचिवों और वार्ड सदस्यों के अधिकारों में हुई कटौती. 15 लाख रुपये से अधिक के कोई भी कार्य अब बिना टेंडर के नहीं होंगे.
पटना. बिहार के पंचायतों में भ्रष्टाचार की तमाम शिकायतों के बाद राज्य सरकार ने बड़ा फैसला करते हुए मुखिया कीशक्ति में कटौती की है और बिहार सरकार ने पंचायत निर्माण कार्य नियमावली (Panchayat Construction Work Manual) स्वीकृत कर लिया है शुक्रवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल की बैठक के बाद कैबिनेट के अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ ने बताया कि नियमावली में किए गए प्रावधानों के तहत अब मुखिया और पंचायत सचिवों की मनमानी नहीं चलेगी और छोटे कार्यो के भी ठेकेदारों का पैनल बनेगा. कार्यों के आवंटन के लिए टेंडर प्रक्रिया अपनाई जाएगी. बिड होगी और बिड में चयनित व्यक्ति को कार्य दिया जाएगा. साफ है कि मुखिया का पावर लगभग खत्म कर दिया गया है.
बता दें कि बिहार की पंचायतों में जो निर्माण कार्य होते हैं उसमें भ्रष्टाचार के तमाम मामले सामने आते रहे हैं. बताया जाता रहा है कि पंचायतों के मुखिया और पंचायत सचिवों की मनमानी के कारण लगातार कार्य की गुणवत्ता में कमी की शिकायतें सामने आती रही हैं. ऐसे में बिहार सरकार ने फैसला किया है कि पंचायतों के अधिकारों में कुछ कमी की जाए. छोटे कार्यों के लिए अब ठेकेदारों का पैनल बनेगा, नीलामी होगी और चयनित व्यक्ति को कार्य दिया जाएगा.
बता दें कि अभी राज्य के 8057 पंचायतों में 9000 करोड़ से ज्यादा रुपए की चार लाख से अधिक योजनाओं पर काम चल रहा है. योजनाएं विभागीय आधार पर कराई जाती हैं जिसमें पंचायत सचिव और कर्मी ही ठेकेदार होते हैं. इससे काम की गुणवत्ता तो प्रभावित होती ही है साथ ही वित्तीय और अनियमितता की भी शिकायतें भीं सामने आती रहती हैं. ऐसे में अब 15 लख रुपए तक की योजनाओं का भी टेंडर किया जाना सुनिश्चित हुआ है.
15 लाख से ज्यादा वाली योजनाओं का क्रियान्वयन राज्य स्तरीय किसी कार्य विभाग निगम कार्यकारी एजेंसी के संबंधित ठेकेदार के माध्यम से होंगे. काम मिल जाने पर कॉन्ट्रैक्ट के पहले पंचायती राज विभाग में निबंध कराना भी अनिवार्य होगा. काम की गुणवत्ता की जांच जिला में अवस्थित कार्य विभागों (पथ निर्माण, भवन निर्माण, पीएचईडी, ग्रामीण कार्य) के प्रयोगशाला में कराई जा सकेगी इसके लिए
कार्यों के लिए निर्माण राशि काम की अवधि निर्धारित की गई है. इसके तहत 15 लाख रुपये तक के कार्य 6 महीने के अंदर पूरे करने होंगे. 15 से 50 लाख तक के कार्य आठ महीने में, 50 लाख से 1 करोड़ रुपए तक के कार्य 10 माह में पूरे करने होंगे. वहीं, 1 से 2 करोड़ रुपए तक की राशि के कार्य 12 महीने में पूरे करने होंगे. जबकि 2 से 5 करोड़ रुपए तक की राशि के कार्य 15 महीने में पूरे किये जाने हैं.
सरकार के निर्णय के अनुसार, 15 लाख से ऊपर उसे की योजनाएं ओपन टेंडर के माध्यम से कराई जाएंगी. सिर्फ प्राकृतिक आपदा, जैसे-बाढ़ या सुखाड़ जैसी विशेष परिस्थिति में ही विभागीय कार्य करने की अनुमति होगी. हालांकि, इसके लिए ऊपर के अधिकारी की लिखित सहमति लेनी होगी. 15 लाख तक की योजनाओं में पंचायतों में पंचायत स्तरीय समिति और प्रखंड में पंचायत समिति स्तरीय समिति टेंडर निकाल सकेगी. एक ठेकेदार को एक वित्तीय वर्ष में अधिकतम दो काम ही मिलेंगे. वहीं, ठेकेदार को तीन चरणों में काम की राशि दी जाएगी.
इसके साथ ही राज्य के सभी 38 जिला में जिला परिषद की जमीन को लीज पर देने के लिए नीति बना दी गई है. कैबिनेट ने बिहार जिला परिषद भू संपदा नीति 2024 को मंजूरी दे दी है. इसके तहत 30 से 50 साल यानी लॉन्ग टर्म की लीज के लिए राज्य सरकार की अनुमति लेनी होगी. कृषि भूमि की भी लीज बाजार मूल्य पर देनी होगी जो अधिकतम 5 सालों के लिए होगी. इस नीति से जिला परिषद को एक निश्चित आय हो सकेगी जिससे जिला परिषद आर्थिक रूप से मजबूत होगी.
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FIRST PUBLISHED : July 20, 2024, 14:05 IST