रोहतास: आजकल किसान अपनी फसलों के उत्पादन में वृद्धि के लिए आधुनिक और वैज्ञानिक तरीकों का उपयोग कर रहे हैं। इनमें से एक प्रमुख तकनीक है. न्यूक्लियस बीज उत्पादन प्रणाली, जिसका प्रयोग खासकर रबी फसलों के लिए किया जा रहा है. यह प्रणाली फसल की गुणवत्ता और उत्पादन बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रही है.
न्यूक्लियस बीज: क्या है और क्यों महत्वपूर्ण है?
न्यूक्लियस बीज को “मूल बीज” कहा जाता है, जो बीज उत्पादन की प्राथमिक और महत्वपूर्ण कड़ी है. यह बीज, ब्रीडर शीट से तैयार किया जाता है और बाद में इसे फाउंडेशन बीज (Foundation Seed) की श्रेणी में रखा जाता है. न्यूक्लियस बीज का उपयोग फसल की गुणवत्ता और शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है, जो किसान के उत्पादन को बेहतर बनाता है. इसे विशेष रूप से नियंत्रित और निरीक्षण में खेतों में उगाया जाता है, ताकि उच्च गुणवत्ता वाले बीज सुनिश्चित हो सकें.
बीज उत्पादन की प्रक्रिया
न्यूक्लियस बीज उत्पादन की प्रक्रिया बेहद संगठित होती है. किसान निम्नलिखित चरणों का पालन कर इस प्रक्रिया को सफल बनाते हैं:
1. बीज चयन: सबसे पहले स्वस्थ और अच्छे पौधों का चयन किया जाता है. इन पौधों से बीज तैयार किए जाते हैं, जिससे फसल की गुणवत्ता उच्च बनी रहती है.
2. नियंत्रित कृषि क्षेत्र: न्यूक्लियस बीज को किसानों के निरीक्षण में खेतों में उगाया जाता है. पौधों के बीच पर्याप्त दूरी (लगभग 3 मीटर) रखी जाती है, जिससे बीज की शुद्धता और फसल की वृद्धि बनी रहे.
3. फाउंडेशन बीज में रूपांतरण: न्यूक्लियस बीज से बीज तैयार करने के बाद इसे फाउंडेशन बीज (FS Seed) में परिवर्तित किया जाता है. इसके बाद यह बीज टीएल सीड (TL Seed) के रूप में विकसित होता है. ये तीन प्रकार के बीज किसानों के लिए उच्च गुणवत्ता वाली फसल उगाने के बेहतरीन विकल्प होते हैं.
बीज परिवर्तन की आवश्यकता
किसानों को हर 8-10 पीढ़ियों के बाद बीज बदलने की सलाह दी जाती है. पुराना बीज लगातार इस्तेमाल करने से बीज जनित बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, जिससे उत्पादन में गिरावट आ सकती है. इसलिए, समय-समय पर बीज बदलना आवश्यक है, ताकि फसल स्वस्थ और उच्च गुणवत्ता वाली बनी रहे.
न्यूक्लियस बीज उत्पादन प्रणाली किसानों के लिए एक प्रभावी और आधुनिक तकनीक साबित हो रही है. इस प्रणाली से न केवल फसल की गुणवत्ता में सुधार होता है, बल्कि किसानों की आय भी बढ़ती है. सही बीज और वैज्ञानिक तकनीकों के उपयोग से किसान आत्मनिर्भर बन सकते हैं और कृषि उत्पादन में नई ऊंचाइयों तक पहुंच सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED : October 10, 2024, 19:54 IST