संजय कुमार/बक्सर: जिले की मशहूर पंचकोशी परिक्रमा यात्रा का चौथा पड़ाव शनिवार को नुआंव गांव में पहुंचा. इसे भगवान हनुमान का ननिहाल कहा जाता है. यहां हजारों श्रद्धालुओं ने विधि-विधान से पूजा-अर्चना की और प्रसाद के रूप में मूली-सत्तू ग्रहण किया. श्रद्धालुओं और साधु-संतों ने यहां के प्रसिद्ध अंजनी सरोवर की परिक्रमा की.
बचपन में नुआंव में रहे भगवान हनुमान
पौराणिक मान्यता के अनुसार, नुआंव में उद्दालक ऋषि का आश्रम हुआ करता था, जहां माता अंजनी अपने पुत्र भगवान हनुमान के साथ रहा करती थीं. अगहन महीने की कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को भगवान राम यहां पंचकोशी परिक्रमा के दौरान पहुंचे थे. कहा जाता है कि उद्दालक ऋषि ने उन्हें मूली-सत्तू का भोजन कराया, जो अब इस स्थान का विशेष प्रसाद बन गया है.
संत समाज ने निकाली भव्य यात्रा
पंचकोशी परिक्रमा समिति की देखरेख में बसांव पीठाधीश्वर के नेतृत्व में संत समाज ने भव्य यात्रा निकाली. भक्तों के लिए भजन-कीर्तन और प्रसाद की व्यवस्था की गई थी. अच्युत प्रपन्नाचार्य महाराज ने बताया कि यह स्थान उद्दालक मुनि और माता अंजनी के आश्रम के रूप में प्रसिद्ध है.
अंजनी सरोवर बना आकर्षण का केंद्र
नुआंव में स्थित अंजनी सरोवर इस स्थान का प्रमुख आकर्षण है. स्थानीय लोगों ने यहां माता अंजनी का मंदिर भी बनवाया है. श्रद्धालुओं ने सरोवर की परिक्रमा कर पूजा-अर्चना की. सरोवर के पास लगे मेले में बच्चों और परिवारों ने जमकर आनंद लिया.
चरित्रवन में लिट्टी-चोखा का प्रसाद
पंचकोशी परिक्रमा का अगला पड़ाव चरित्रवन होगा, जहां महर्षि विश्वामित्र का आश्रम हुआ करता था. परंपरा के अनुसार, अगहन महीने की नवमी तिथि को भगवान राम ने यहां लिट्टी-चोखा का प्रसाद ग्रहण किया था. यह परंपरा त्रेता युग से चली आ रही है. बक्सर के चरित्रवन और शाहबाद क्षेत्र के घरों में इस विशेष व्यंजन को श्रद्धालुओं द्वारा भोग के रूप में बनाया जाता है.
विश्व प्रसिद्ध पंचकोशी परिक्रमा
पंचकोशी परिक्रमा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान और विरासत का भी हिस्सा है. लिट्टी-चोखा और मूली-सत्तू जैसे प्रसाद इसे अनोखा बनाते हैं. यही कारण है कि इस यात्रा को विश्व प्रसिद्ध माना जाता है.
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FIRST PUBLISHED : November 24, 2024, 19:55 IST