नीरज कुमार/बेगूसराय. आज के समय में भी खेती-किसानी को चुनौतीपूर्ण पेशों में से एक माना जाता है. इस पेशे की चुनौतियों से निपटने के लिए अब सिर्फ पुरुष ही नहीं महिलाएं भी आगे आकर अपनी पहचान बना रही हैं. आज हम जिस महिला की कहानी आपको बता रहे हैं, यह कहानी उन लोगों के लिए भी एक प्रेरणा हो सकती है, जिनके पास खेत के अलावा कुछ भी नहीं है, और वो इसी वजह से नई शुरुआत नहीं कर पा रहे हैं. उन्हें लगता है कि खेती किसानी से हम अपनी तकदीर नहीं बदल सकते. बिहार के बेगूसराय और समस्तीपुर सीमा इलाके में बसे सागी को आज भी अति पिछड़ी पंचायत माना जाता है. इस गांव की प्रियंका ने अपने प्रखंड मुख्यालय पहुंचकर जीविका ऑफिस आकर पूरी जानकारी प्राप्त कर अपने गांव के ग्राम संगठन से एक लाख रुपए 2021 में ही कर्ज लेकर खुद की कहानी लिखनी शुरू कर दी थी. आइए जानते हैं उनकी पूरी कहानी…
मौसम और बाजार की डिमांड के अनुसार सब्जियों की खेती से परिवार की तकदीर बदलने की इबारत लिखने वाली सागी डीह पंचायत के वार्ड 14 की रहने वाली विनोद कुमार महतो की पत्नी प्रियंका देवी बताती हैं कि पहले परिवार का भरण पोषण ससुर की कमाई से होता था. कुछ साल पहले जब वो गुजर गए तो परिवार की आर्थिक स्थिति काफी दयनीय हो गई थी. पति भी बेरोजगार थे कुछ नहीं कर सकते थे, और मेरे पास एक बीघा खेत था. फिर मैंने खुद पति को समझाया और सब्जी की खेती के लिए राजी कर लिया. सब्जी की खेती में शुरुआत में लागत पूंजी काफी ज्यादा लगती है. तो मैंने जीविका से दो-तीन किस्तों में एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता लेकर एक बीघा और खेत लीज पर लेकर कुल दो बीघा के खेतों में कई प्रकार की सब्जी की खेती शुरु कर दी.
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हर सप्ताह 8 से 10 हजार की कमाई
प्रियंका के पति विनोद कुमार महतो बताते हैं कि सब्जी की खेती में हर महीने दो से 3 हजार की कीटनाशक दवाई और पटवन में खर्च करना पड़ता है. मै अपने खेतों में एक साथ कई प्रकार के सब्जियों का उत्पादन करता हूं. जैसे ऊपर अलान देकर परवल और करेला तो नीचे खीरा आदि. उन्होंने आगे बताया कि मौसम अनुरूप खेती करते हैं, बस इस दौरान जिन सब्जियों की बाजार की मूल्य ज्यादा होने वाला है ऐसी सब्जियों की खेती पर विशेष ध्यान देता हूं. अपने दो बीघा के खेत में मुख्य रूप से आलू की खेती के साथ मिर्च, बैंगन, टमाटर, गोभी सहित अन्य सब्जियों की खेती करती हैं. उन्होंने आगे बताया कि खेती में पत्नी जहां सब्जी को तैयार करती हैं, वहीं मैं समस्तीपुर के बाजार में सब्जी विक्रेता के यहां पहुंचा देता हूं. ऐसे में 8 से 10 हजार तक सप्ताह में कमाई कर लेता हूं. इनका मानना है कि पति-पत्नी अगर मिलकर खेती किसानी में भी कदम रखे तो उनकी तकदीर बदल सकती है.
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FIRST PUBLISHED : May 23, 2024, 10:22 IST