अमित कुमार/समस्तीपुर. जिला के मोहनपुर प्रखंड स्थित हरदासपुर गांव इस बार फिर से बाढ़ की चपेट में आ गया है. बाढ़ के आने से ग्रामीणों का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. गांव की एक महिला, जिसकी कहानी मन को झकझोर कर देने वाली है वह बताती हैं कि ‘गंगा जी के पनिया ने हमारे घर को अपनी चपेट में ले लिया है. अब हम प्लास्टिक के सहारे दिन बिता रहे हैं. गांव में बाढ़ का पानी अब केवल एक समस्या नहीं, बल्कि एक जीवनशैली बन चुका है. यह गंदा पानी हमारे बच्चों को बीमार कर रहा है. खाने के लिए कुछ नहीं है और हमारा घर भी पानी के तेज बहाव में दहला गया है.
वह लोकल 18 से बात करते हुए कहती हैं कि हर साल यही स्थिति होती है, और भले ही गंगा का जलस्तर अब थोड़ा कम हो गया हो, फिर भी उनके घर के आंगन में पानी भरा हुआ है. इस महिला के लिए यह रोज की चिंता बन गई है कि कब और कैसे इस संकट से राहत मिलेगी. पहले सामुदायिक किचन से कुछ दिन भोजन मिला, लेकिन अब उन्हें सूखे खाने का सहारा लेना पड़ रहा है. इस दर्द भरी स्थिति को सुनकर हर किसी का मन भारी हो जाता है. क्या इन महिलाओं को कभी राहत मिलेगी? यह सवाल सभी के मन में घूमता है. उनकी कहानियों में न केवल पीड़ा है, बल्कि उनकी हिम्मत और संघर्ष भी झलकता है.
बाढ़ पीड़ित महिला ने साझा की अपनी पीड़ा
समस्तीपुर के हरदासपुर गांव की फूला देवी जो भोला महतो की पत्नी हैं उन्होंने लोकल 18 के साथ अपनी दर्द भरी कहानी साझा की. उन्होंने बताया कि गंगा नदी के पानी के कारण उनका घर पूरी तरह से बाढ़ से क्षतिग्रस्त गया है. कुछ भाग तो पानी के तेज बहाव में भस गया, लेकिन कुछ अभी भी दलदल में है. फूला देवी ने यह भी बताया कि उनका चूल्हा चौका भी बाढ़ की चपेट में आ गया है, जिससे उन्हें खाना बनाना बहुत कठिन हो गया है. इस वजह से हम सूखे खाने पर निर्भर हैं. फिलहाल, सत्तू और चुरा मीठा हमारे लिए बहुत बड़े सहारे हैं. उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले सामुदायिक किचन का आयोजन किया गया था, जिसमें वे सब जाकर भोजन कर लेते थे, लेकिन अब वह भी बंद हो चुका है. अब हम सब जैसे तैसे जीवन यापन कर रहे हैं. उन्होंने अपनी स्थिति का वर्णन करते हुए कहा कि यह समस्या सिर्फ फूला देवी की नहीं है, बल्कि उन हजारों लोगों की पीड़ा को भी उजागर करती है, जो बाढ़ के कारण जूझ रहे हैं.
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FIRST PUBLISHED : October 8, 2024, 10:06 IST