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पानी पर तैरता है ये अद्भुत चारा, किसानों के लिए है वरदान, कम लागत में होता है तगड़ा मुनाफा

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कैलाश कुमार: आज के समय में पशुपालन किसानों के लिए आय का मुख्य साधन बन गया है, लेकिन महंगे चारे और उसकी बढ़ती लागत किसानों के लिए एक बड़ी चुनौती है. ऐसे में बोकारो कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक विनय कुमार ने अजोला की खेती को एक वरदान के रूप में प्रस्तुत किया है. अजोला एक प्रकार का जल पादप (वाटर फर्न) है जो पानी की सतह पर तैरता है और पशुओं के आहार में कम लागत और अधिक पोषण प्रदान करने का बेहतरीन विकल्प है.

क्या है अजोला और इसके पोषण तत्व?
अजोला एक हरा, पत्तेदार फर्न है जो अपने आप को पानी की सतह पर फैलाता है. इसमें 25-35 प्रतिशत पाच्य प्रोटीन होता है, जिससे यह पशु आहार में प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत बनता है. साथ ही इसमें विटामिन बी12, बीटा कैरोटीन, कैल्शियम, फास्फोरस, पोटेशियम, और मैग्नीशियम जैसे महत्वपूर्ण खनिज पाए जाते हैं, जो पशुओं के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं. यह फर्न पूरे साल आसानी से उगाया जा सकता है और इसे अन्य फीड सप्लीमेंट की तुलना में कम लागत में तैयार किया जा सकता है.

अजोला उत्पादन की आसान विधि
अजोला की खेती करना बेहद आसान और कम खर्चीला है. कृषि वैज्ञानिक विनय कुमार के अनुसार, किसान इसे आसानी से अपने घर या खेत पर तैयार कर सकते हैं. अजोला उत्पादन की विधि निम्नलिखित है:

स्थल की तैयारी: पहले एक समतल और साफ जगह का चुनाव करें और वहां 10 फीट x 5 फीट का एक चौकोर क्षेत्र बनाएं.

प्लास्टिक शीट बिछाना: इस क्षेत्र में 150 GSM मोटाई की प्लास्टिक शीट बिछाएं, ताकि पानी का रिसाव न हो.

मिट्टी और पोषक मिश्रण डालें: इसके बाद बेड में मिट्टी और 50-60 ग्राम अजोफर्ट (पोषक मिश्रण) मिलाएं, जिससे अजोला को आवश्यक पोषण मिल सके. अब 7-10 सेंटीमीटर ताजा पानी से बेड भर दें.

अजोला मदर कल्चर डालना: 1-1.5 किलो अजोला मदर कल्चर को पानी की सतह पर समान रूप से फैलाएं और इसके बाद हल्का पानी छिड़कें. सात दिनों में अजोला बेड भर जाएगा, और आठवें दिन से इसे नियमित रूप से हर दिन लगभग 1.5 किलोग्राम निकाल सकते हैं.

अजोला की देखभाल: प्रतिदिन 1 किलो गोबर, 5 लीटर पानी और 50 ग्राम अजोफर्ट को घोलकर बेड में डालें. हर 3-4 दिन में साफ पानी डालें और हर 3-4 महीने में बेड की सफाई करें.

अजोला का पशुओं के लिए लाभ और आर्थिक फायदे
अजोला का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह चारा किसानों को कम लागत में अधिक बचत देता है. किसानों के लिए इसे चोकर के साथ मिलाकर पशुओं को खिलाना आसान है. अजोला खिलाने से दुधारू पशुओं में दूध उत्पादन में 15-20 प्रतिशत तक की वृद्धि देखी गई है. इसके अलावा, अन्य चारे की तुलना में सालाना 30,000 रुपए की बचत भी होती है, जो किसानों के लिए आर्थिक दृष्टि से अत्यंत फायदेमंद है.

अन्य फायदे और उपयोग
अजोला को पशुओं के साथ ही मुर्गियों और बत्तखों के आहार में भी शामिल किया जा सकता है. इसका सेवन पशुओं की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ उनके स्वास्थ्य में सुधार लाता है. इसे पशुओं के दूध उत्पादन बढ़ाने, उनकी प्रजनन क्षमता में सुधार लाने, और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं को दूर रखने में भी सहायक पाया गया है.

Tags: Agriculture, Bokaro news, Farmer Income Doubled, Local18



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