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जब वृंदा को भगवान के छल का पता चला, तो वह क्रोधित हो उठी और भगवान विष्णु को श्राप दिया, “तुम पत्थर के हो जाओ.” विष्णु ने इस श्राप को स्वीकार कर लिया और शालिग्राम रूप धारण कर लिया. अपने क्रोध के शांत होने पर भगवान ने वृंदा से कहा, “तुम वृक्ष रूप में धरती पर उत्पन्न होगी और मेरी प्रिय बनोगी.” वृंदा ने तुलसी का रूप लिया, जो शालिग्राम के साथ पूजा में अनिवार्य हो गई.