नई दिल्ली. ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में हुई डीजीपी और आईजीपी 59वीं कॉन्फ्रेंस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘स्मार्ट’ पुलिसिंग के फॉर्मूले को आगे बढ़ाने का संदेश दिया है. स्मार्ट पुलिसिंग यानी एस से स्ट्रैटेजिक (रणनैतिक), एम से मैटिकुलस (सावधान), ए से अडॉप्टेबल (हालात के साथ ढलना), आर से रिलायबल (भरोसेमंद) और टी से ट्रांसपेरेंट (पारदर्शी). प्रधानमंत्री मोदी ने साल 2014 में गुवाहाटी कॉन्फ्रेंस में स्मार्ट पुलिसिंग का फॉर्मूला दिया था. दस साल बाद अब मोदी ने उसी फॉर्मूले के कामयाब विस्तार की बात कही है. साल 2014 में स्मार्ट पुलिसिंग के संदेश के तहत पुलिस को स्ट्रिक्ट और सेंसटिव, मॉडर्न और मोबाइल, अलर्ट और अकाउंटिबल, रिलायबल और रेस्पॉन्सिबल, टेक्नोसेवी और ट्रेंड बनने के लिए कहा गया था.
भुवनेश्वर में हुई तीन दिन की 59वीं कॉन्फ्रेंस में सभी राज्यों के डीजीपी और आईजीपी स्तर के करीब 250 अधिकारी शामिल हुए. साथ ही 750 से ज्यादा अधिकारियों ने बैठक में ऑनलाइन शिरकत की. बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी शामिल हुए. समापन समारोह में मोदी ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के खतरे से निपटने के लिए पुलिस को भारत की ‘दोहरी एआई’ का इस्तेमाल करना चाहिए. कॉन्फ्रेंस में पुलिस के सामने उभरीं मौजूदा चुनौतियों से निपटने के उपायों पर विस्तार से चर्चा की गई. मोदी ने डिजिटल फ्रॉड, साइबर क्राइम और एआई तकनीक की वजह से से पैदा हुए खतरों के निपटने के लिए भारत की दोहरी एआई शक्ति यानी आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस और एस्पिरेशनल इंडिया का इस्तेमाल कर चुनौतियों को अवसरों में बदलने का सुझाव दिया.
पीएम मोदी की बैठकों का सिलसिला
जानने वाली बात यह है कि साल 2013 से पहले तक यह सालाना बैठक राजधानी दिल्ली में ही हुआ करती थी. लेकिन नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद यह बैठक दिल्ली से बाहर करने का सिलसिला शुरू किया. कॉन्फ्रेंस अभी तक गुवाहाटी (असम), कच्छ के रण (गुजरात), हैदराबाद (तेलंगाना), टेकनपुर (ग्वालियर, मध्य प्रदेश), स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (केवड़िया, गुजरात), पुणे (महाराष्ट्र), लखनऊ (उत्तर प्रदेश) और जयपुर (राजस्थान) में की जा चुकी है. अब देखना यह होगा कि नई चुनौतियों यानी साइबर क्राइम के बढ़ते दौर में देश भर के राज्यों की पुलिस कितनी स्मार्ट साबित होती है. आतंकवाद की समस्या और सामाजिक सौहार्द्र बिगाड़ने की साजिशों को पहचान कर उनसे निपटने के साथ ही बड़े पैमाने पर हो रही साइबर ठगी को रोकने की दिशा में एस्पिरेशनल इंडिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कितने काररगर तरीके से इस्तेमाल की जा सकेगी. केंद्रीय गृह मंत्रालय और राज्य मिल कर पुलिसिंग को कितना सक्षम बना पाएंगे.
साइबर क्राइम पैर पसार रहा
अकेले साइबर क्राइम की बात करें, तो देश में यह बहुत ज्यादा पैर पसार चुका है. पिछले साल यानी 2023 में 1776 करोड़ रुपये से ज्यादा की साइबर ठगी की गई. अकेले शेयर बाजार में मुनाफा कमाने का झांसा दे कर 1420 करोड़ रुपये ठग लिए गए. इसके अलावा 222.58 करोड़ रुपये दूसरी आकर्षक योजनाओं में पैसे लगाने के नाम पर लोगों की जेबों से निकाल लिए गए. साथ ही डेटिंग साइटों पर रोमांस के नाम पर सपने दिखा कर 13.25 करोड़ रुपये ठग लिए गए. एक और आंकड़ा आंखें खोलता है. मौजूदा साल 2024 की पहली तिमाही में साइबर ठगी के करीब 7.5 लाख शिकायतें दर्ज की गईं. इस दौरान 120.3 करोड़ रुपये साइबर ठगों ने लोगों के बैंक अकाउंटों से निकलवा लिए. साल 2024 में जनवरी से जून तक 11 हजार, 269 करोड़ रुपये की साइबर ठगी हुई. औसत निकाला जाए, तो रोजाना 60 करोड़ रुपये की साइबर ठगी की जा रही है.
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साइबर ठगी के खिलाफ जागरूकता
हैरत की बात यह है कि साइबर ठगी को ले कर लोगों को जागरूक करने की कोशिशें बड़े पैमाने पर की जा रही हैं, फिर भी यह सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है. केंद्र सरकार, रिजर्व बैंक, पुलिस और दूसरी संस्थाएं लोगों को साइबर ठगों के झांसे में नहीं आने के लिए जागरूक करने में लगे हुए हैं. डिजिटल मीडिया पर करीब-करीब सभी न्यूज चैनलों के पोर्टलों पर और व्यक्तिगत स्तर पर लोग साइबर ठगों से सावधान रहने के उपाय समय-समय पर बताए जा रहे हैं, लेकिन लोग फिर भी ठगों के जाल में फंस जाते हैं. इतने बड़े पैमाने पर लोग साइबर ठगी के शिकार हो रहे हैं, तो जाहिर है कि अज्ञानता और लालच ही इसकी दो बड़ी वजहें हैं. साफ है कि तकनीक के विकास के इस दौर में साइबर ठगी ऐसा अंधेरा पक्ष है, जिसे दूर करने की जरूरत है. चिंता की बात यह है कि पढ़े-लिखे लोग, पूर्व अधिकारी (कुछ मामलों में तो पदेन अधिकारी भी), अलग-अलग तबकों के धनी मध्यवर्गीय लोग साइबर ठगों के जाल में आसानी से फंस जाते हैं. चिंता की दूसरी बड़ी बात यह है कि ठगों ने लोगों के बैंक खातों में सेंध लगाने की कई तकनीकें विकसित कर ली हैं. इसलिए पुलिसिंग के साथ-साथ बैंकिंग प्रणाली को भी मिल कर इस बड़े खतरे से निपटने के उपाय करने होंगे.
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FIRST PUBLISHED : December 2, 2024, 16:24 IST