बेगूसराय: पोषण वाटिका का निर्माण स्वास्थ्य, बचत और पर्यावरण संरक्षण के लिए अत्यंत लाभकारी साबित हो रहा है. इसके माध्यम से शारीरिक श्रम के साथ मन की शांति भी मिलती है. बिहार सरकार के स्वास्थ्य और शिक्षा विभाग द्वारा पोषण वाटिका के निर्माण और इसके महत्व पर पिछले कई वर्षों से करोड़ों रुपये खर्च कर जागरूकता बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है.
सितंबर में पोषण सप्ताह का आयोजन
वर्तमान में शिक्षा विभाग ने सितंबर को ‘पोषण सप्ताह’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया है, जिसका उद्देश्य बच्चों को पोषण वाटिका के महत्व से अवगत कराना है. विभागीय अधिकारी, कृषि विज्ञान केंद्र जाकर पोषण वाटिका के लाभ और निर्माण प्रक्रिया को समझ रहे हैं, ताकि वे अपने संबंधित कार्यालयों में इसे सरकारी धन से विकसित कर सकें.
पोषण वाटिका से हर व्यक्ति को 2.50 ग्राम हरी सब्जी, 18 हजार तक की बचत
बेगूसराय के कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख कृषि वैज्ञानिक, डॉ. रामपाल ने लोकल 18 बिहार से बात करते हुए बताया कि पोषण वाटिका का उद्देश्य हर व्यक्ति को 2.50 ग्राम हरी सब्जी उपलब्ध कराना है, जो भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा अनुशंसित है. इसके माध्यम से एक परिवार सालाना 18,000 रुपए तक की बचत कर सकता है.
उन्होंने बताया कि पोषण वाटिका से घरों में हरी सब्जी की उपलब्धता सुनिश्चित होगी, जिससे परिवार के सदस्य स्वस्थ रहेंगे. पोषक तत्वों से भरपूर सब्जियां न केवल इम्युनिटी बढ़ाती हैं, बल्कि शरीर को हर आवश्यक पोषण तत्व भी प्रदान करती हैं. इसके नियमित सेवन से परिवार स्वस्थ और बीमारियों से दूर रहेगा.
पोषण वाटिका में उगाई जा सकने वाली सब्जियां
डॉ. रामपाल ने बताया कि पोषण वाटिका तैयार करने के लिए ऐसी जगह का चयन करें, जहां पर्याप्त धूप आती हो. छायादार स्थानों से बचना चाहिए, और फलों के पेड़ भी वाटिका में लगाएं.
– नवंबर से मार्च और मार्च से अक्टूबर के लिए फसलें – पत्ता गोभी, लेट्यूस, ग्वार, बींस
– गांठ गोभी और लोबिया की फसल – मार्च से अगस्त
– फूलगोभी, मूली, और प्याज – नवंबर, दिसंबर
– बैगन, पालक, भिंडी, और चौलाई साग – मार्च से जून
पोषण वाटिका का उद्देश्य परिवार की जरूरतों के अनुसार फल और सब्जियों का उत्पादन करना है, जिससे स्वास्थ्य में सुधार और वित्तीय बचत हो सके.
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FIRST PUBLISHED : September 14, 2024, 23:27 IST