पश्चिम चम्पारण. मई के महीने में ग्रीष्मकालीन गन्ने की बुआई की जाती है, जिसकी पैदावार शरद और बसंतकालीन गन्ने से कम होती है. यदि ग्रीष्मकालीन गन्ने की पैदावार बढ़ानी है तो उपयुक्त किस्म तथा संतुलित पोषण अनिवार्य है. कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो, बुआई से पहले यदि आप गन्ने के टुकड़ों को 24 घंटे तक पानी में भिगोए रखते हैं, तो उससे अंकुरण अच्छी होती है.
पश्चिम चम्पारण ज़िले के कृषि वैज्ञानिकों ने गन्ने की कुछ ऐसी प्रजातियों के बारे में बताया है, जिसकी खेती किसानों के लिए बेहद कारगर साबित हो सकती है.किसान चाहे चीनी मील में गन्ना दें या फिर बीज तैयार करें. वैज्ञानिकों ने विभिन्न कार्यों के लिए गन्ने की विभिन्न वेराइटीज का जिक्र किया है.
किसानों के लिए बेहतर हैं गन्ने के ये प्रभेद
जिले के मझौलिया प्रखंड के माधोपुर स्थित क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र में कार्यरत कृषि वैज्ञानिक सतीश चंद्र नारायण ने गन्ने की कुछ ऐसी प्रजातियों के बारे में बताया है, जिसकी खेती किसानों को बेहद लाभ दे सकती है. इनमें राजेंद्र गन्ना 01, राजेंद्र गन्ना 02, राजेंद्र गन्ना 03, राजेंद्र गन्ना 04, राजेंद्र गन्ना 05, राजेंद्र गन्ना 06 तथा राजेंद्र गन्ना 07 शामिल है.बकौल सतीश, राजेंद्र गन्ना 02 में चीनी की मात्रा बेहद अधिक होती है जबकि राजेंद्र गन्ना 07 बेहद मोटा तथा लंबा होता है. किसान यदि अधिक उत्पादन क्षमता वाले गन्ने की खेती करना चाहते हैं. तो उन्हे राजेंद्र गन्ना 01, राजेंद्र गन्ना 03 तथा राजेंद्र गन्ना 05 का चुनाव करना चाहिए.
प्रति हेक्टेयर 100 टन से भी अधिक होती है इन प्रभेदों की पैदावार
वैज्ञानिकों की माने तो राजेंद्र गन्ना 01, 03 तथा 05 की उत्पादन क्षमता प्रति हेक्टेयर 100 टन से भी ज्यादा है. वर्ष 2022 में माधोपुर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र से क़रीब 350 किसानों में राजेंद्र गन्ना 01 का बीज वितरित किया गया था. आश्चर्य की बात यह है कि सेम पैमाने पर ही जब अलग अलग गन्ने की बुआई की गई, तो उसमें राजेंद्र गन्ना 01 की पैदावार सबसे अधिक हुई.अतः अधिक उत्पादन के लिए कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को इन्हीं खास प्रभेदों के गन्ने की खेती की सलाह दी जाती है.
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FIRST PUBLISHED : May 26, 2024, 21:16 IST