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प्राण प्रतिष्ठा की वर्षगांठ; शिमला के इस मंदिर में हुआ 108 हनुमान चालीसा पाठ!

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Ram Mandir Anniversary : पौष माह शुक्ल पक्ष की द्वादशी पर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की वर्षगांठ पूरे देश में धूमधाम से मनाई गई. शिमला के राम मंदिर में सुंदरकांड और 108 बार हनुमान चालीसा पाठ हुए.

शिमला. बीते वर्ष पौष माह की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी. उस दौरान यह तिथि अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 22 जनवरी 2024 को पड़ी थी. इस वर्ष पौष माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि 11 जनवरी को पड़ी है. शनिवार के दिन राम लला की प्राण प्रतिष्ठा की वर्षगांठ को पूरा देश बड़े हर्षोल्लास और धूमधाम से मना रहा है. इसी कड़ी में शिमला स्थित राम मंदिर में भी विशेष पूजा अर्चना हुई. सुंदरकांड के पाठ के साथ 108 हनुमान चालीसा का पाठ किया गया है. वहीं, दोपहर बाद विशेष पाठ भी किया गया.

राममंदिर में हुआ 108 हनुमान चालीसा का पाठ
शिमला स्थित राम मंदिर का संचालन करने वाली सूद सभा के अध्यक्ष राजीव सूद ने बताया कि राम लला की प्राण प्रतिष्ठा को एक वर्ष पूरा हुआ है. इस विशेष उपलक्ष पर राम मंदिर शिमला में विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया. राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान 22 जनवरी 2024 को भी शिमला स्थित राम मंदिर में भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. शिमला स्थित राम मंदिर में सुंदर कांड का पाठ किया गया और इसके साथ ही 108 बार हनुमान चालीसा का पाठ भी किया गया. इस दौरान सैंकड़ों भक्त भगवान राम के दर्शनों के लिए पहुंचे. मंदिर की सजावट विशेष गेंदें के फूलों से की गई है. इसके साथ ही भक्तों के लिए भंडारे का आयोजन भी किया गया.

जाखू मंदिर में भी लगा श्रद्धालुओं का तांता
राम मंदिर के साथ शिमला की सबसे ऊंची पहाड़ी पर स्थित हनुमान जी को समर्पित जाखू मंदिर में भी शनिवार के दिन भक्तों का तांता लगा रहा. शनिवार के दिन यूं तो हर सप्ताह ही जाखू मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता देखने को मिलता है. लेकिन, यह शनिवार इसलिए भी विशेष है, क्योंकि आज ही के दिन रामलाल की प्राण प्रतिष्ठा की वर्षगांठ है. इसके साथ ही वीकेंड के चलते भी हजारों की संख्या में श्रद्धालु जाखू मंदिर पहुंचे है. बता दे की जाखू मंदिर में हनुमान जी की 108 फीट ऊंची मूर्ति भी स्थापित है. हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां हनुमान जी के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं. जाखू मंदिर के इतिहास को रामायण काल से जोड़कर देखा जाता है.



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